परिचय (Soil Texture in Hindi)
इस ब्लॉग पोस्ट में मैंने Soil Texture in Hindi और उससे सम्बंधित टॉपिक्स पर चर्चा की है। आपको इसमें sand, silt एवं clay कणों के बारे में भी जानने को मिलेगा।
आप चाहे तो इस ब्लॉग पोस्ट (Soil Texture in Hindi) को पढ़ने का आनन्द ले सकते हैं और अपने नॉलेज को थोड़ा और बढ़ा सकते हैं।
तो देर किस बात की चलो शुरुआत से शुरू करते हैं और इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़ने का आनन्द लेते हैं।
मृदा गठन या मृदा कणाकार क्या है? (What is soil texture in Hindi)
मृदा में Sand, Silt और Clay कणों के सापेक्ष अनुपात को Soil Texture कहते हैं।
जैसा कि आपको पता ही होगा कि मिट्टी के कण तीन प्रकार के होते हैं,
पहला क्लेकण जो अत्यतं सूक्ष्म कण होते हैं, दूसरा सिल्ट कण जो क्ले से थोड़े बड़े होते हैं, और तीसरा बालू के
कण (sand) जो दोनों कणों से अपेक्षाकृत सबसे बड़े आकार के कण होते हैं।
इन अलग-अलग साइज वाले कणों के प्रतिशत मात्रा को ही मृदा गठन (soil texture) कहते हैं।
मृदा वर्ग कण (Soil seperate)
कणों के अलग-अलग साइज वाले समूह को मृदा वर्ग कण कहते हैं। जैसे- कंकड़ और बालूकण वर्ग, सिल्ट कण
वर्ग, क्लेकण वर्ग, दोमट कण वर्ग आदि ।
यांत्रिक विश्लेषण विधि से soil texture या soil sesperate की प्रतिशत मात्रा ज्ञात की जाती है।
यांत्रिक विश्लेषण के लिए hydrometric method प्रयोग में लाई जाती है।
मृदा वर्ग कणों को अलग-अलग साइज वाले समूह में बांटने के लिए सबसे अधिक तीन प्रणालीयां प्रचलित है –
1. इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ सॉइल साइंस (ISSS) जो वैज्ञानिक एटरवर्ग ने प्रस्तुत किया था।
2. संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग से मान्य प्रणाली।
3. और तीसरा प्रणाली वैज्ञानिक मोहर (Mohr) की है।
मृदा वर्ग कणों को वर्गीकृत करने की तीन प्रणालियां निम्नलिखित हैं
● इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ सॉइल साइंस प्रणाली –
क्र. | मृदा वर्ग कण | व्यास (मिमी.) |
---|---|---|
1 | मोटी बालू | 2.0 – 0.20 |
2 | महीन बालू | 0.2 – 0.02 |
3 | सिल्ट | 0.02 – 0.002 |
4 | क्ले | 0.002 से कम |
● संयुक्त राज्य अमेरिका कृषि विभाग प्रणाली –
क्र. | मृदा वर्ग कण | व्यास (मिमी.) |
---|---|---|
1 | बहुत मोटी बालू | 2.00 – 1.00 |
2 | मोटी बालू | 1.00 – 0.50 |
3 | मध्यम बालू | 0.50 – 0.25 |
4 | महीन बालू | 0.25 – 0.10 |
5 | बहुत महीन बालू | 0.10 – 0.05 |
6 | सिल्ट | 0.05 – 0.002 |
7 | क्ले | 0.002 से कम |
● मोहर की प्रभाजी (fraction) प्रणाली –
क्र. | मृदा वर्ग कण | व्यास (मिमी.) |
---|---|---|
1 | बहुत मोटी बालू | 2.00 – 1.00 |
2 | मोटी बालू | 1.00 – 0.50 |
3 | मध्यम बालू | 0.50 – 0.20 |
4 | महीन बालू | 0.20 – 0.10 |
5 | बहुत महीन बालू | 0.10 – 0.05 |
6 | मोटी सिल्ट | 0.05 – 0.02 |
7 | सिल्ट | 0.02 – 0.005 |
8 | महीन सिल्ट | 0.005 – 0.002 |
9 | क्ले | 0.002 – 0.0005 |
10 | कोलाइडी क्ले | 0.0005 से कम |
[1] बालू वर्ग कण (Sand)
इस श्रेणी में पत्थर, कंकड़, मोटी बालू और महीन बालू सम्मिलित है।
कंकड़ और पत्थर का व्यास 2 मिलीमीटर से अधिक होता है ।
मोटी बालू का व्यास 2.0 से 0.2 मिलीमीटर तक होता है।
महीन बालू का व्यास 0.2 से 0.02 मिलीमीटर तक होता है।
बालू कणों का आकार गोल, चपटा, अनियमित तथा कोणीय होता है।
इन कणों का निर्माण ग्रेनाइट, क्वार्ट्ज आदि चट्टानों के टूटने पर होता है।
इनकी जल धारण क्षमता बहुत कम होती है क्योंकि कणों के बीच बड़े आकार वाले रंध्र होते हैं जिनमें से होकर
पानी नीचे चला जाता है।
रोचक तथ्य
मृदा में दो तरह के रंध्र (pores) पाए जाते हैं, पहला macro pores और दूसरा micro pores.
जब, जल मिट्टी में प्रवेश करता है तो इन दोनों रंध्रों में एकत्रित हो जाता है।
कुछ समय बाद macro pores में भरा हुआ जल ग्रेविटेशनल फोर्स की वजह से नीचे भूमि की गहराई में चला
जाता है। जबकि micro pores में भरा हुआ जल रंध्रों में लम्बे समय तक रूके रहता है।
महत्वपूर्ण तथ्य –
बालू में macro pores (बड़े रंध्र) अधिक संख्या में पाए जाते हैं जिनमें से पानी ग्रेविटेशनल फोर्स की वजह से
नीचे चला जाता है।
इसीलिए बालूकण की जल धारण क्षमता कम होती है।
इन कणों में low plasticity and low cohesion गुण पाया जाता है। किन्तु इनकी पारगम्यता (permeability) अधिक होती है।
बालू के कण सूर्य की गर्मी पाकर बहुत जल्दी गर्म हो जाते हैं।
तथा इनमें पोषक तत्वों की मात्रा भी अपेक्षाकृत कम पाई जाती है क्योंकि पहला तो इनमें कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बहुत कम होती है और दूसरा जो पोषक तत्व पाए जाते हैं वे भी अधिकतर पानी में घुलकर leach out हो
जाते हैं।
यह मृदा drainage system (जल निकास प्रणाली) के लिए सर्वोत्तम होती है।
सिल्ट तथा क्ले वाली मृदा में बालू मिला देने पर मृदा में पर्याप्त मात्रा में रंध्र हो जाते हैं और उसका वायु संचार पौधों की वृद्धि के लिए उचित हो जाता है।
रेगिस्तानी क्षेत्रों में आपको इस तरह के कण वाली मृदा आसानी से देखने को मिल जाएगा।
[2] सिल्ट वर्ग कण (Silt)
सिल्ट टुकड़ों का व्यास 0.002 से 0.02 मिलीमीटर तक होता है।
सिल्ट कण अनियमित आकार के होते हैं इनका कोई निश्चित shape नहीं होता है।
इनमें Plasticity और cohesion के गुण बालू से अधिक और क्ले से कम पाया जाता है।
इसके भौतिक गुण बालू और क्ले के बीच की होती है ना ज्यादा, ना कम, बल्कि मध्यम।
सिल्ट की जल धारण क्षमता बालू से अधि क होती है। इसमें केशिय रंध्र और micro pores बालू (sand) से अधिक होते हैं फलतः अधिक पानी मृदा में रुके रहता है ।
सिल्ट कणों को हिंदी में गाद भी कहा जाता है। नदियों का बहता जल अपने साथ छोटे-छोटे मृदा कणों और छोटे-छोटे कार्बनिक अवयवों को साथ लेकर बहते है।
यह छोटे-छोटे कण जब नदियों के किनारों पर, और खेतों पर और मैदानी भागों पर इकट्ठी हो जाती है तो इसे
गाद कहते हैं। ये सिल्ट कण आपको मुख्यतः नदियों के आसपास के क्षेत्रों में झीलों में और अन्य जल स्रोतों के किनारों पर आसानी से देखने को मिल जाएगा । सिल्ट मृदा सबसे अधिक उर्वरक मिट्टी होती है।
[3] क्लेवर्ग कण (Clay)
क्ले कणों का आकार 0.002 मिलीमीटर से कम होता है । क्लेकण, सिल्ट और बालूकण की अपेक्षा सबसे छोटी और महीन कण होते हैं।
इनकी जल धारण क्षमता सबसे अधिक होती है क्योंकि इनमें केशिय रंध्र या micro pores की संख्या सबसे
अधिक होती है। और आपको तो पता ही है कि जिस मृदा में केशिय रंध्र अधिक होते हैं वहां केशिय जल लम्बे समय तक रुके रहता है।
क्ले कण पानी पड़ने पर फूल जाते हैं और सूखने पर सिकुड़ जाते हैं। इनके इस तरह फैलने और सिकुड़ने का कारण इन में पाई जाने वाले क्ले मिनरल्स होते हैं।
जब क्ले मृदा गीली होती है तो यह बहुत ज्यादा मुलायम हो जाती है। इतना मुलायम की इसमें पैर रखने पर, पैर अंदर गहराई तक धंस जाता है। जबकि वहीं पानी सूखने के बाद यह बहुत ज्यादा कठोर हो जाती है। सूखने के बाद इनमें क्रैक्स डिवेलप हो जाते हैं। और दोबारा पानी डालने पर तरुंत एकदम नरम हो जाती है।
क्ले कणों में नेगेटिव चार्ज पाया जाता है इसलिए ये पॉजिटिव चार्ज वाले पोषक तत्व और खनिजों को अपने से
चिपका कर रखते हैं।
कणाकार सगंठन (Textural composition)
मृदा में sand, silt एवं clay कणों का अनुपात अलग – अलग होता है।
जिस मृदा में 85% से अधिक sand होता है उसे sandy soil कहते हैं।
जिस मदृा में 80% से अधिक सिल्ट कण होता है तो उसे silty soil कहते हैं।
और मृदा में 35% से अधिक क्लेकण होने पर उसे clay soil कहते हैं।
Sandy soil और clay soil के बीच की स्थिति loamy soil (दोमट मृदा) कहलाती है।
दोमट मृदा (Loamy soil) में sand, silt एवं clay कण समान अनुपात में नहीं पाए जाते हैं। परंतु ये तीनों कण
समान अनुपात मेंअपना गुण प्रदर्शित करते हैं।
सभी मिट्टियो में यह तीनों कण (sand silt and clay) मौजूद रहते हैं, अंतर सिर्फ उनके अनुपात में होता है।
इन्हीं तीनों कणों के अनुपात के आधार पर मृदा को sandy, loamy, clayey soil, में बांटा जाता है।
clayey soil को heavy soil (भारी मृदा) एवं sandy soil को light soil (हल्की मृदा) भी कहा जाता है।
यह नामकरण वजन के अनुसार ना होकर जुताई यत्रं पर लगने वाले प्रतिरोध बल के आधार पर किया गया है।
भारी मिट्टी उन मिट्टी को कहा जाता है जिसमें जुताई आदि कार्य करना आसान नहीं होता है। जुताई करने के लिए अत्यधिक बल लगाना पड़ता है। जबकि हल्की मिट्टी में जुताई कार्य आसान होता है इसमें बल बहुत कम लगता है क्योंकि मिट्टी ढीली और भुरभुरी होती है ।
मिट्टी के प्रकार का निर्धारण –
अब तक आपको यह पता चल चुका है कि जिस मृदा में 85% से अधिक sand कण पाए जाते हैं उसे sandy soil की कैटेगरी में रखते हैं। उसी तरह अगर मृदा में 80% से अधिक silt कण पाए जाते हैं तो silty soil कैटेगरी में रखते हैं । और जिस मृदा में 35% से अधिक clay कण उपस्थित होते है, उसे clayey soil कैटेगरी में रखते हैं।
लेकिन क्या हो अगर मृदा में 12% क्लेकण कण, 55% sand कण और 31% सिल्ट कण मौजूद हो, तो इस
स्थिति में आप इस मृदा को किस कैटेगरी में रखोगे और कौन सा टूल प्रयोग करोगे यह निर्धारित करने के लिए।
Well…..
अगर आप इसका जवाब जानना चाहते हो तो इस ब्लॉग पोस्ट को अतं तक जरूर पढ़ें।
Keep reading….
वैज्ञानिकों ने इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए sand, silt एवं clay कणों के प्रतिशत के आधार पर मिट्टी को 12 कणाकार वर्गों या कैटिगरीज में बांटा है।
अगर आपको यह जानना है कि आपके खेत या घर के पास की मिट्टी इन 12 कैटिगरीज में से कौन सी कैटेगरी में आती है, तो इसके लिए एक उपकरण (Tool) का निर्माण किया गया है जिसकी सहायता से आप बड़ी आसानी से मृदा कणाकार वर्ग का पता लगा सकते हैं।
इस उपकरण का नाम, soil texture triangle (मिट्टी की बनावट का त्रिकोण) है। यह उपकरण असल में एक त्रिकोण चार्ट है ।
Sand Silt and Clay कणों के प्रतिशत मात्रा को इस चार्ट में put करके (रखके) आप कणाकार वर्ग निर्धारित कर सकते हैं।
यदि मिट्टी में उपस्थित sand, silt और clay कणों के प्रतिशत के बारे में आपको पता है, तो आप संरचना सम्बंधी त्रिकोण से संरचना सम्बंधी वर्ग की पहचान आसानी से कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए – 55% sand, 31% silt और 12% clay से बनी मिट्टी के लिए हम देखेंगे की मिट्टी के संरचना वर्ग का निर्धारण कैसे करना है।
यहां पर मिट्टी के नमूने में55% sand है इसीलिए sand कण के प्रतिशत के अनुरूप एक रेखा खींचे। इसी तरह silt के प्रतिशत (31%) और clay के प्रतिशत (12%) के लिए भी लाइनें खींचे।
यह तीनों लाइने जिस स्थान पर एक दूसरे से मिलती है या एक दूसरे को काटती है। उस स्थान पर अंकित कणाकार वर्ग हमारे पास जो मिट्टी है उसका संकेत करती है।
ऊपर दिए गए नमूने के आधार पर खींची गई लाइनें एक दूसरे को sandy loam कॉलम में आकर काटती है ।
अतः हमारे पास जो मिट्टी है वह sandy loam type की मिट्टी है।
बालू, सिल्ट एवं क्ले कणों के प्रतिशत के आधार पर मृदा को निम्न कणाकार वर्गों में विभाजित किया गया है –
कणाकार वर्ग | Sand % | Silt % | Clay % |
---|---|---|---|
Clay | 85 – 100 | 0 – 15 | 0 – 10 |
Loamy sand | 70 – 90 | 0 – 30 | 0 – 15 |
Sandy loam | 43 – 80 | 0 – 50 | 0 – 20 |
Loam | 23 – 52 | 28 – 50 | 7 – 27 |
Silt Loam | 0 – 50 | 50 – 88 | 0 – 27 |
Silt | 0 – 20 | 88 – 100 | 0 – 12 |
Sandy clay Loam | 45 – 80 | 0 – 28 | 20 – 55 |
Clay Loam | 20 – 45 | 15 – 53 | 27 – 40 |
Silt Clay Loam | 0 – 20 | 40 – 73 | 27 – 40 |
Sandy Clay | 40 – 65 | 0 – 20 | 35 – 45 |
Silt Clay | 0 – 20 | 40 – 60 | 40 – 60 |
Clay | 0 – 40 | 0 – 40 | 40 – 60 |
महत्वपूर्ण शब्द –
1. Sand/sandy – बालू, रेत
2. Silt/Silty – गाद, मटियार
3. Clay/Clayey – चिकनी मिट्टी
4. Loam/Loamy – दोमट मिट्टी
मृदा गठन का महत्व (Importance of soil texture)
Soil texture मृदा की एक बेहद महत्वपूर्ण विशेषता है जो soil taxonomy और soil classification में यूज किया जाता है।
सॉयल टेक्सचर की सहायता से मृदा को अलग-अलग categories में बांटने में सुविधा होती है
मृदा कणाकार मृदा की उर्वरा शक्ति को स्थिर रखता है और फसलों को पोषण देने में सहयोग करता है।
जिस मृदा के कण बड़े-बड़े होते हैं अथवा कठोर होते हैं, वे कृषि के लिए उपयुक्त नहीं होती है।
जिस मदृा के कण छोटे-छोटे होते हैं, उनमें हार्डनेस न होकर मुलायमता होती है और साथ ही साथ भुरभुरी होती है, यह मदृा कणाकार की दृष्टि से उत्तम मानी जाती है।
मृदा कणाकार का अच्छा या बुरा होना कृषि को वहृत रूप से प्रभावित करता है ।
जैसे कि –
हल्की मृदा कणाकार की दृष्टि से अच्छी नहीं मानी जाती है, किंतु यदि इसका कणाकार दूसरे प्रकार की मिट्टियां मिलाकर सुधार दिया जाए तो यह मृदा कृषि योग्य हो जाती है।
मृदा कणाकार उत्तम होने पर उसमें Pores की संख्या अधिक होती है। जिससे मृदा में नमी भी अधिक मात्रा में उपस्थित रहती है तथा वायुसंचार भी उचित मात्रा में बना रहता है।
जिस मृदा में यह रंध्र बड़े आकार के होते हैं अथवा कम होते हैं, वह मृदा कृषि के लि ए अच्छी नहींमानी जाती हैं
खराब मृदा कणाकार होने पर मृदा सूर्य की गर्मी को भलीभांति शोषित नहीं कर पाती है।
अच्छी कणाकार वाली मृदा में लाभप्रद सूक्ष्म जीव भली भांति कार्य करते हैंऔर उनकी संख्या भी अधिक होती हैं।
किन्तु खराब कणाकार वाली मृदा में यह ठीक से कार्य नहीं कर पाते हैं। इनकी सक्रियता कम हो जाती है।
निष्कर्ष
आज सबने जाना कि मृदा में बालू, सिल्ट और क्ले कणों के प्रतिशत मात्रा को सॉयल टेक्सचर कहते हैं ।
Soil texture एक महत्वपूर्ण classification tool है जिसके उपयोग से मृदा के भौतिक गुणों का निर्धारण किया जाता है।
Sand, silt एवं clay के percentage के आधार पर मिट्टी को अलग-अलग मृदा कणाकार वर्ग में बांटा जाता है।
मृदा को अलग-अलग वर्गों में बांटने के लिए के लिए कई प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय क्लासिफिकेशन प्रणालियां मौजूद है।
रेफरेंस
अलग-अलग स्रोतों से एकत्रित की गई जानकारियों के विश्लेषण के बाद इस ब्लॉग पोस्ट को तैयार किया गया है। और आवश्यकता अनुसार यथास्थान agrifieldea टीम के इनपुट भी शामिल किए गए हैं।
स्रोत – मृदा विज्ञान उर्वरक एवं खाद – लेखक डॉ विनय सिंह , अमृता विश्व विद्यापीठ के आर्टिकल्स, क्लासेस,
इमेज के स्त्रोत – इंटरनेट ।
अपील
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