What is Soil Profile and Soil Horizon in Hindi | मृदा प्रोफाइल व मृदा संस्तर

   परिचय – 

आज के इस ब्लॉग पोस्ट में आपके लिए, सोलम परत, साॅयल प्रोफाइल एंड साॅयल हाॅरिजोंस (What is Soil Profile and Soil Horizon in Hindi) से सबंधित महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं।

What is Soil Profile and Soil Horizon in Hindi

So start now….

मृदा प्रोफ़ाइल और मृदा संस्तर (Soil Profile and Soil Horizon)

 

साॅयल प्रोफाइल क्या है? (What is Soil Profile?) 

 

साॅयल (Soil) को vertically काटने पर साॅयल (Soil) में जो different different प्रकार के साॅयल लेयर्स (Layers) पाए जाते हैं। इन लेअर्स को हिंदी भाषा में संस्तर और अंग्रेजी भाषा में Horizones कहते हैं। और इन सभी horizones को combined रूप से सॉयल प्रोफाइल (Soil Profile) कहते हैं।

साॅयल हाॅरिजोंस क्या हैं? (What is Soil Horizons?)

Individual soil layers को soil horizones (मदृा संस्तर) कहते हैं।

इन संस्तरों का रंग एक-दूसरे से भिन्न होता है। इसका कारण इन लेयर्स में पाए जाने वाले ऑर्गेनिक पदार्थ और खनिज पदार्थ की वजह से है।

ऊपरी मृदा संस्तरो का रंग गहरा (dark colour) होता है और निचली मृदा संस्तरों का रंग हल्का (light colour) होता है।

वैसे तो इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे प्रमुख कारण मृदा में कार्बनिक पदार्थ (organic matter) की उपस्थिति है। अपर (Upper) लेयर्स के साॅयल में कार्बनिक पदार्थ अधिक मात्रा में पाया जाता है इसलिए इन लेअर्स का रंग गहरा भूरा होता है। उदाहरण के लिए वन भूमि में उपस्थित ‘O’ horizone.

जबकि लोअर (Lower)  सॉयल लेयर्स में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा कम होती है इसलिए इन लेयर्स का रंग हल्का होता है।

अर्थात ये horizones light colour की होती है। उदहारण के लिएए ‘C’ horizones.

 

महत्वपूर्ण बिन्दु :- 

Horizone को कई अन्य नामों से भी सम्बोधित किया जाता है जैसे – Layer, Zone, परत, संस्तर आदि । अतः इन सभी नामों से आप कन्फ्यूज मत हो जाना, सभी नामों का मतलब एक ही होता है।

सोलम क्या है?

What is Solum ?

A+B horizon को संयुक्त रूप से सोलम (Solum) परत कहते हैं। सोलम परत मृदा प्रोफाइल की ऊपरी भाग है जो पौधों की जड़ों से प्रभावित होती है।

सोलम को जड़ कैसे प्रभावित करता है?

पौधों के जड़ सोलम परत में फैले होते हैं जो सोलम परत से पोषक तत्वों और जल को ग्रहण (uptake) करते हैं, जिससे उस स्थान पर पोषक तत्व और जल की कमी हो जाती है। तथा पौधों की जड़ों से रसायनों का स्राव होता रहता है जिससे मृदा के कारण टूटते हैं जिसे soil weathering कहा जाता है। अतः इस तरह के क्रियाओं से सोलम परत पौधों की जड़ों द्वारा प्रभावित होता है।

सोलम परत की कोई निश्चित मोटाई (thickness) नहीं होती है इसकी मोटाई अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होती है।

 

प्रमुख मृदा संस्तर (Importance soil horizons)

सामान्यतः सॉयल प्रोफाइल में 5 horizon (5 संस्तर) स्वीकृत किए गए हैं जो निम्नानुसार हैं –

1. O’ horizon

2. A’ horizon

3. E’ horizon

4. B’ horizon

5. C’ horizon

नोट:- कुछ किताबों में सिर्फ चार प्रमुख हाॅरिज़ोन (Horizones) बताए गए हैं। ‘E’ हाॅरिज़ोन को प्रमुख हाॅरिज़ोन में नही गिना जाता है। ऐसा क्यों है ये आपको आगे पता चलेगा। so Keep reading.

1. “O” Horizon :-

organic horizone above mineral soil. (हिंदी भाषा में कहा जाए तो खनिज मृदा के ऊपर जो ऑर्गेनिक लेयर पाई जाती है उसे ही ‘O’ हाॅरिज़ोन कहते हैं)

वन मृदाओं की ऊपरी सतह पर ‘O’ हाॅरिज़ोन पाया जाता है। पेड़ पौधे और उनकी पत्तियां मृदा सतह पर गिरकर सड़ जाती है और ‘O’ संस्तर का निर्माण करती है।

‘O’ हाॅरिज़ोन केवल वन भूमि में पाया जाता है कृषि भूमि में अनुपस्थित रहता है।

2. “A” Horizon :-

Top most mineral horizone found in cultivated land.

यह मृदा की सबसे ऊपरी खनिज परत है। जो वन भूमियों को छोड़कर बाकी सभी प्रकार की भूमियों में पाई जाती है। सभी प्रकार की कृषि क्रियाएं इसी लेयर में की जाती है।

इसमें आंशिक रूप से कार्बनिक पदार्थ ( organic matter) मिले रहता है इसलिए इसका रंग गहरा होता है।

3. “E” Horizon :-

‘A’ हाॅरिज़ोन की निचली परत को ‘E’ हाॅरिज़ोन या A² हाॅरिज़ोन कहते हैं।

इसलिए A+E हाॅरिज़ोन को संयुक्त रूप से केवल एक हाॅरिज़ोन मानते हैं।

इस हाॅरिज़ोन को washing-out zone or maximum leaching zone or maximum elluviation zone भी कहते हैं। क्योंकि इस हाॅरिज़ोन से nutirents और sisqui-oxide गतिशील होकर निक्षालित (leach-out) हो जाते हैं।

नोट:- Fe, Al oxide को sisqui-oxide कहते हैं।

जल मिट्टी के ऊपरी संस्तर पर से होते हुए और बहुत से रासायनिक द्रव्यों को लेते हुए नीचे के संस्तर में  जाता है और वहाँ मिट्टी के साथ मिलकर अनेक रासायनिक क्रियाओं द्वारा मिट्टी के रंग रूप को बदल देता है। इस तरह ऊपरी लेयर से अवयव निचले लेयर में चले जाते हैं।

4. “B” Horizon :-

सभी प्रकार के constituents like – Nutrients, sisqui-oxide, लवण आदि इस हाॅरिज़ोन में आकर एकत्रित हो जाते हैं। इसलिए इस हाॅरिज़ोन को maximum accumulation or illuviation zone कहतेहैं।

इस हाॅरिज़ोन को सब – सॉयल हाॅरिज़ोन भी कहते हैं तथा इसमें कृषि क्रियाएं सभंव नहीं होती।

5. “C” Horizon :

यह अल्पविकसित मृदा का संस्तर है जिसे पैरेंट मटेरि हाॅरिज़ोन भी कहते हैं।

इस हाॅरिज़ोन में पैरेंट मटेरियल पाया जाता है। यही पैरेंट मटेरियल आगे चलकर सॉयल का निर्माण करती है।

 

 elluviation zone क्या है?  

वह सॉयल लेयर/ हाॅरिज़ोन जहां से पोषक तत्व तथा अन्य अवयव leach-out होकर निचली परत में चले जाते

हैं उसे एलुविएशन ज़ोन (elluviation zone) कहते हैं।

‘A’ हाॅरिज़ोन को एलुविएशन जोन कहते हैं।

 

 illuviation zone क्या है ?  

• वह सॉयल लेयर/ हाॅरिज़ोन जहां leach-out होने वाले तत्व आकर जमा होते हैं, उसे ईलुविएशन (illuviation zone) ज़ोन कहते हैं।

‘B’ horizone को इल्लुविएशन ज़ोन कहते हैं।

 

खेती के लिए कौनसा हाॅरिज़ोन महत्वपर्ण है?

‘A हाॅरिज़ोन खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण हॉरिजोन है। क्योंकि A’ हाॅरिज़ोन में पाए जाने वाले पोषक तत्व पौधों के विकास के लिए बेहद जरूरी होते हैं। और सभी प्रकार के cultivated land में’A’ हाॅरिज़ोन पाया जाता है।

 

Conclusion -. 

साॅयल को vertically काटने पर साॅयल में different different प्रकार के जो साॅयल लेयर्स पाए जाते हैं। उसे हाॅरिज़ोन (Horizones) कहते हैं ।

और इन सभी हाॅरिज़ोन्स को combined रूप से सॉयल प्रोफाइल कहते हैं।

साॅयल में 5 तरह के हाॅरीजोन्स पाए जाते हैं

जिनका रंग एक दूसरे से अलग अलग होता है तथा उनकी विशषेताएं भी भिन्न – भिन्न प्रकार की होती है।

  रेफरेंस – 

इस ब्लॉग पोस्ट में दी गई जानकारी साॅयल साइंस बाय डॉक्टर विनय सिंह तथा लॉग इन एग्री डॉट कॉम एवं अन्य स्रोतों से एकत्रित सामग्री के विश्लेषण से तैयार किया गया है।

तथा आवश्यकता अनुसार एग्रीफील्डिया टीम के इनपटु भी यथा स्थान शामिल किए गए हैं।

 अपील – 

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