What is Green Manure l उपज बढ़ाने के लिए ऐसे करें हरी खाद का उपयोग

Whats is Green Manure in hindi: Hello  स्वागत करते हैं आप सभी का एक बार फिर से हमारे AGRIFIELDEA  में ।

आज हम बात करेंगे हरी खाद (Green Manuring) के बारे में की हरी खाद क्या होता है ? हरी खाद बनाने के लिए अनुकूल फसलें कौन – कौन सी है ? हरी खाद बनाने की विधि क्या है ? हरी खाद के कौन-कौन से प्रकार हैं ? और हरी खाद के लाभ क्या – क्या है ? 

 

What is Green Manure in hindi, Benefits of Green Manure, l हरी खाद l बनाने की विधि , उपयोग व लाभ | हरी खाद का उपयोग कैसे करें | what is green manure in hindi

 

 

हरी खाद (What is Green manure in hindi)

हरी खाद के बारे में आप तो जानते ही होंगे या सुने ही होंगे । तो सबसे पहले जानते हैं कि ये क्या होता है और इसकी एक परिभाषा भी बनाते हैं ।

 

मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बनाये रखने के लिए या बढ़ाने के लिए हरी खाद एक सस्ता विकल्प है ।  हरी खाद वह खाद होती है जो हरे मुलायम या फलीदार पौधों से बनाये जाते है । आप लोग जानते होंगे या देखे ही होंगे कि कोई फसल बुआई के पहले उस खेत मे हरी मुलायम या फलीदार पौधों को उगाकर उसी खेत मे मिला दिया जाता है जिससे ये हरी खाद में परिवर्तित हो जाते हैं।

परिभाषा (Definition of Green Manure in hindi)

सही समय पर हरी फलीदार पौधों की खड़ी फसल को फल लगने से पहले मिट्टी में हल चलाकर दबा देने से या मिला देने से जो खाद बनती है उसे हरी खाद कहते हैं ।

 

हरी खाद (Green manure) वाली फसल में क्या गुण होने चाहिए?

 

हरी खाद वाली फसल में यह गुण होना चाहिए कि –

◆ हरी खाद के लिए जो भी फसल का चुनाव करें वह ज्यादा लागत वाली न हो अर्थात इसे उगाने  में न्यूनतम खर्च हो ।

◆ ऐसी फसल हो जिसकी ज्यादा सुरक्षा न करना पड़े ।

◆ कम से कम खाद या उर्वरक चाहने वाली फसल हो ।

◆ सिंचाई की कम आवश्यकता हो ।

◆ किसी भी परिस्थिति या वातावरण में उगने में सक्षम हो ।

◆ कम समय मे अधिक से अधिक मात्रा में हरी खाद प्रदान कर सके ।

◆ रोग या कीटो का प्रकोप न हो और जल्दी बढ़ने वाली व उपज अधिक देने वाली हो ।

◆ जो खरपतवारों को दबाते हुए जल्दी बढ़त प्राप्त करे ।

 

हरी खाद बनाने के लिए अनुकूल फसलें (Suitable Crops For Green Manuring)

 

हरी खाद के लिए ऊपर बताए गए गुणो के अनुसार नीचे कुछ हरी खाद वाली फसलों के नाम दिए गये हैं जो हरी खाद के लिए उत्तम मानी जाती है ।

लोबिया , उड़द , मूंग , ढेंचा , बरसीम , ग्वार , आदि । ढेंचा इनमे से सर्वोत्तम मानी जाती है । 

 

हरी खाद (Green manure) के पौधों को मिट्टी में मिलाने का उपयुक्त समय –

हरी खाद का उपयोग कैसे करें | what is green manure in hindi

 

 

● हरी खाद के लिए बोई गई फसल 55 से 60 दिन में मिट्टी में मिलने के लिए तैयार हो जाती है ।

● 55 – 60 दिन के इस अवस्था मे पौधों का तना नाजुक व नरम होता है जिसे आसानी से कट कर मिट्टी में मिलाया जा सकता है और पौधे की लंबाई भी इस समय अधिक होती है ।

● इस अवस्था मे कार्बन – नाइट्रोजन अनुपात कम होता है ।

● इस अवस्था मे मिट्टी में हरी खाद मिलाते हैं तो मिट्टी में जैविक पदार्थ व नाइट्रोजन की उपलब्धता अधिक बढ़ती है ।

● अगर पौधा इस अवस्था से अधिक बड़े हो जाते है तो कार्बन – नाइट्रोजन अनुपात बढ़ जाती है और देर से मिट्टी में मिलाने के बाद मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है । इसीलिए हरी खाद की फसल को 55 से 60 दिन के उपयुक्त अवस्था में ही मिट्टी में मिलनी चाहिए ।

 

हरी खाद (Green manure) बनाने की विधि –

 

◆ रबी की फसल की कटाई के बाद अर्थात अप्रैल – मई माह में फसलों की कटाई के बाद खेत मे पानी डाल दें या सिंचाई कर दें ।

◆ अब इसी पानी वाले खेत मे 50 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से हरी खाद वाली फसल का बीज छितरा दें या ढेंचा का बीज 50 किग्रा . प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़क दें ।

◆ 10 – 15 दिन बाद अगर पानी कम लगे या जरूरत पड़े तो सिंचाई कर दें ।

◆ अब जब पौधा 20 से 25 दिन की हो जाये तो इस अवस्था मे 25 कि. प्रति हेक्टेयर की दर से यूरिया को खेत में छिड़क देते हैं।  जिससे हरी खाद वाली फसल की जड़ों में नोड्यूल बनने में मदद मिलती है जिससे मिट्टी में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण अधिक होता है ।

◆ अब हरी खाद की फसल जब लगभग 2 महीने अर्थात 55 से 60 दिन का हो जाये तो इसे अच्छी तरह हल चलाकर खेत में मिला दिया जाता है ।

इस प्रकार 12 से 15 टन प्रति हेक्टेयर की दर से हरी खाद उपलब्ध हो जाती है ।

 

हरी खाद (Green manure) के लाभ

 

तो चलिए बहुत ही आसान शब्दों में जानते है कि हरी खाद को खेत मे मिलाने के क्या – क्या फायदे हैं ।

 

● ये तो आप सभी जानते हैं कि हरी खाद से मृदा की उर्वरता शक्ति बढ़ती है ।

● मुख्य फसलो मे पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है ।

● हरी खाद को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की भौतिक स्थिति में सुधार होता है ।

● आप तो जानते ही है कि मिट्टी में बहुत से लाभदायक सूक्ष्मजीव होते है । हरी खाद मिलाने से इन सूक्ष्मजीवों की गतिविधियां बढ़ जाती है ।

● हरी खाद वाली फलीदार फसले वातावरण की नाइट्रोजन को अपने जड़ो की नोड्यूल में स्थिरीकरण करते है । जिसे मिट्टी में मिलाने के बाद मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाते हैं ।

● हरी खाद को मिट्टी में दबाने के बाद बोई गई धान की फसल में एक्नोक्लोआ जातियों के खरपतवार न के बराबर उगते है जो हरी खाद के एलिलोकेमिकल प्रभाव को दर्शाते हैं।

● मिट्टी की जलधारण क्षमता में बढ़ोतरी होती है ।

● उर्वरक की आवश्यकता न के बराबर होती है जिससे किसान के अतिरिक्त लागत में कमी आती है ।

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