Agricultural Finance in Hindi | कृषि वित्त या कृषि साख क्या है अर्थ एवं परिभाषा एवं इसका वर्गीकरण

कृषि वित्त (Agricultural Finance in Hindi)

Agricultural Finance in Hindi | कृषि वित्त या कृषि साख क्या है अर्थ एवं परिभाषा एवं इसका वर्गीकरण

Table of Contents

कृषि वित्त (Agriculture Finance in Hindi) –

धन की कमी के कारण किसान अपना कृषि कार्य समय पर पूरा नहीं कर पाते जिसका बुरा प्रभाव कृषि उपज पर भी पड़ता है। कृषि कार्यों को समय पर पूरा करने के लिए किसानों को ऋण लेने की आवश्यकता होती है। कृषि व्यवसाय में विभिन्न प्रकार के कृषि कार्यों को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए धन का प्रबंध करना ही कृषि वित्त (Agriculture Finance in Hindi) कहलाता है।

 

कृषि वित्त की परिभाषा | Definition of Agriculture Finance in Hindi – 

कृषि व्यवसाय में विभिन्न कार्यों को करने के लिए पूंजी की व्यवस्था या प्रबंधन ही कृषि वित्त (Agricultural Finance) कहलाती है।

According to Tandon and Dhondyai –

Agriculture finance is the branch of agriculture economics that deals with financial resources related to individual farm unit.”

 

कृषि साख या कृषि ऋण (Agricultural Credit)

साख अंग्रेजी शब्द ‘Credit‘ का अनुवाद है और ‘Credit’ शब्द की उत्तपत्ति लैटिन शब्द ‘Credo‘ से हुई है जिसका अर्थ है भरोसा या विश्वास।

कृषि साख का अर्थ उस मुद्रा या पूंजी से होता है जिसे कृषक भविष्य में लौटने का वायदे करता है, चाहे वह पूंजी फार्म के खर्च के लिए लिया गया हो या परिवार के घरेलू खर्च के लिए।

 

कृषि साख की परिभाषा | Definition of Agricultural Credit –

किसान कृषि व्यवसाय को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए विभिन्न स्रोतों से जो धन उधार लेता है उसे ही कृषि ऋण या कृषि साख कहते हैं।

कृषि साख का अर्थ निवेश किये गए उस धन की मात्रा से है जो फार्म के विकास व उत्पादकता के निर्वाह के लिए उपलब्ध हो।

निकल्सन – ‘कृषि के लिए आवश्यक साख का प्रबंध करना जरुरी है और साधन उचित साख की तुलना में कम प्रभाव रखते हैं।’

Agricultural Finance in Hindi | कृषि वित्त या कृषि साख

किसान ऋण क्यों लेता है?

एफ. निकल्सन के अनुसार – रोम से स्कॉटलैंड तक का कृषि इतिहास इस बात का साक्षी है कि कृषि के लिए ऋण लेना आवश्यक है। देश की परिस्थितियां, भूमि, अधिकार अथवा ऋषि की व्यवस्था इस महान तथ्य को तनिक भी प्रभावित नहीं करती कि कृषक के लिए ऋण लेना आवश्यक है।

किसान निम्नलिखित कारणों से लेता है – 

  • कृषि कार्य को सुचारू अथवा व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए
  • किसान अपना पुराना कर्ज चुकाने के लिए ऋण लेता है।
  • खेती के लिए खाद, बीज, कृषि के यंत्र, बैल, भूमि आदि खरीदने के लिए।
  • भूमि सुधार के लिए।
  • कृषि के साथ-साथ अन्य सहयोगी उद्योग चलाने के लिए जैसे – पशुपालन, मुर्गी पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन इत्यादि व इसमें होने वाले खर्चे के लिए जैसे – चारा, दाना आदि खरीदने के लिए।
  • सामाजिक दृष्टि से जीवन स्तर सुधारने के लिए।
  • बुवाई की मशीनें, मड़ाई, कटाई, ओसाई आदि की मशीनें खरीदने के लिए।
  • श्रमिकों के खर्च के लिए।
  • घर बनाने व पुराने घर की मरम्मत के लिए।
  • सिंचाई तथा जल निकास की स्थाई सुविधाओं के लिए।
  • अन्य अनुवादक व्यय जैसे – शादी, जन्मोत्सव, मनोरंजन, गमी, आभूषण, मुकदमेबाजी आदि के लिए।

 

कृषि साख या कृषि वित्त का वर्गीकरण | Classification of Agricultural Credit or Agricultural Finance –

अखिल भारतीय ग्रामीण साख परिवेक्षण समिति ने कृषि साख का कई प्रकार से वर्गीकरण किया है जो निम्नलिखित है –

1. ऋण दाताओं के आधार पर कृषि साख का वर्गीकरण (On the Basis of Creditors) :- 

ऋण दाताओं के आधार पर कृषि ऋण को दो भागों में बांटा गया है –

(i) संस्थागत ऋण (Institutional Credit) – यह ऋण किसानों को किसी संस्थाओं के माध्यम से दिया जाता है जैसे सरकार, सहकारी समितियां, सहकारी बैंक, वाणिज्यिक बैंक आदि।

(ii) गैर संस्थागत ऋण (Non Institutional Credit) – इस प्रकार के ऋण को कृषक अपने सगे संबंधी, जमींदार, साहूकार, व्यापारी व्यक्तियों से लेता है।

 

2. समय के आधार पर साख का वर्गीकरण (On the Basis of Time) :- 

समय के आधार पर कृषि साख को तीन भागों में बांटा गया है –

(i) अल्पकालीन ऋण (Short term Credit) – जैसे कि नाम से ही मालूम हो रहा है इस प्रकार का ऋण कम समय या कुछ महीनों के लिए दिया जाता है। जिसका प्रयोग खाद, बीज या अन्य घरेलू सामान खरीदने के लिए किया जाता है। और इस ऋण को फसल काटने के बाद चुका दिया जाता है इस ऋण की अवधि 10 महीने तक होती है।

(ii) मध्यकालीन ऋण (Medium term Credit) – इस प्रकार कार्य कृषि उपकरण, औजार, पशु या मशीनें खरीदने के लिए लिया जाता है। इस ऋण की अवधि 15 महीने से 5 वर्ष तक होती है।

(iii) दीर्घकालीन ऋण (Long term Credit) – इस प्रकार का ऋण कृषक द्वारा मकान बनवाने, भूमि खरीदने, पशुओं का मकान, गोदाम बनवाने, ट्यूबवेल, पंपिंग सेट लगाने, ट्रैक्टर खरीदने या अन्य पुरानी ऋण को चुकाने के लिए लिया जाता है जिसकी अवधि 15 से 20 वर्ष की होती है।

 

3. ऋण लेने के आवश्यकता के अनुसार (On the Basis of requirement) :-

ऋण लेने की आवश्यकता के अनुसार कृषि साख दो प्रकार का होता है

(i) उत्पादक ऋण (Productive Credit) – इस प्रकार का ऋण किसान अपनी उत्पादन बढ़ाने के लिए लेते हैं। उत्पादक ऋण दो प्रकार का होता है –

a. प्रत्यक्ष उत्पादक ऋण – इस प्रकार का ऋण खेती में प्रत्यक्ष रूप से उत्पादन लेने अथवा उत्पादन बढ़ाने के लिए लिया जाता है। जैसे उन्नतशील बीज, रसायनिक उर्वरक, दवाइयां नई औजार खरीदने व भूमि खरीदने आदि के लिए लिया जाता है।

b. अप्रत्यक्ष उत्पादक ऋण – इस प्रकार का ऋण खेती के उत्पादन में अप्रत्यक्ष रूप से वृद्धि करने के लिए लिया जाता है, जैसे कृषि शिक्षा प्राप्त करने के लिए, कृषि के लिए तकनीकी ज्ञान या प्रशिक्षण लेने के लिए आदि।

(ii) अनुत्पादक ऋण (Unproductive Credit) – इस प्रकार के ऋण का खेती के उत्पादन से कोई संबंध नहीं है। यह ऋण घरेलू उपयोग की वस्तुएं खरीदने के लिए, आभूषण खरीदने, शादी, मुकदमेबाजी या अन्य उत्सव के लिए लिया जाता है।

 

4. सुरक्षा के आधार पर कृषि साख या वित्त का वर्गीकरण (On the Basis of Security) :- 

सुरक्षा के आधार पर कृषि साख दो प्रकार का होता है

(i) सुरक्षित साख (Secured Credit) – इस प्रकार का ऋण लेने में ऋण दाताओं को किसी भी प्रकार की कोई जोखिम नहीं होती क्योंकि यह ऋण किसानों की चल व अचल संपत्ति को बंधक रखकर दिया जाता है।

सुरक्षित साख चार प्रकार का होता है –

a. व्यक्तिगत जमानती या प्रतिभूति (Credit on personal security) – इस प्रकार का ऋण, ऋणदाता ऋण लेने वाले की व्यक्तिगत प्रतिभूति या किसी अन्य जिम्मेदार व्यक्ति की प्रतिभूति पर ऋण देती है। अगर इस ऋण का समय पर भुगतान नहीं किया गया तो ऋण की जवाबदेही जमानती का होगा या उसे ही ऋण अदा करनी पड़ेगी।

b. चल सम्पत्ति को बंधक या गिरवी रखकर – ऋण लेने वाले व्यक्ति की चल सम्पत्ति जैसे आभूषण, मशीन, औजार, पशु इत्यादि।

c. अचल संपत्ति को बंधक या गिरवी रखकर – जैसे भूमि, मकान आदि।

d. समर्थक ऋणाधार (Collateral security) – यह ऋण लेने वाले के नाम के प्रमाण पत्र, शेयर, बॉन्ड्स, बीमा पॉलिसी आदि की जमा रसीदों को बंधक रखकर दिया जाता है।

 

(ii) असुरक्षित साख (Unsecured credit) – यह ऋण बिना किसी जमानती, प्रतिभूति अथवा बिना कुछ बंधक रखे ही दिया जाता है।

 

5. परिस्थितियों के आधार पर साख का वर्गीकरण (On the Basis of Circumstances) :-

(i) सामान्य साख (Normal Credit) – इस प्रकार का ऋण सामान्य परिस्थितियों में कृषि की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लिया जाता है जैसे बीज, खाद, फर्टिलाइजर, उपकरण आदि के लिए।

(ii) विपत्ति साख (Distress Credit) – विभिन्न विपत्तियाँ जैसे बाढ़, सूखा, अकाल, अधिक जलभराव, टिड्डी दलों का आक्रमण या अन्य आपदाओं पर जो ऋण दिया जाता है उसे विपत्ति ऋण कहते हैं।

(iii) विकास साख (Development Credit) – यह साख कृषि के विकास कार्यों जैसे ट्यूबवेल या पंपिंग सेट, कृषि यंत्र या औजार खरीदने के लिए, सिंचाई के साधनों का विकास करने के लिए, ट्रैक्टर खरीदने या भूमि की मरम्मत कराने के लिए दिया जाता है।

 

6. ऋणी के आधार पर साख का वर्गीकरण (On the Basis of Borrower) :-

ऋण लेने वाले किसानों के आधार पर ऋण का वर्गीकरण निम्न है

(i) खाद्यान्न उत्पादन करने वाले कृषक।

(ii) पशुपालन करने वाले कृषक/दुग्ध उत्पादन करने वाले कृषक।

(iii) मुर्गीपालन करने वाले कृषक।

(iv) कुटीर उद्योग चलाने वाले कृषक।

(v) फल एवं सब्जी उत्पादन करने वाले कृषक।

(vi) मधुमक्खी पालन करने वाले कृषक।

(vii) मछली पालन करने वाले कृषक।

(viii) कृषि सम्बंधित अन्य दूसरे व्यवसाय करने वाले कृषक।

 

किसानों के लिए ऋण प्राप्त करने के स्त्रोत | Credit Source for Farmers :- 

किसान निम्नलिखित स्त्रोतों से ऋण ले सकते हैं –

1. निजी संस्थायें – साहूकार, सम्बंधी, देशी बैंकर इत्यादि।

2. वित्तीय संस्थायें – सहकारी बैंक, वाणिज्य बैंक, ग्रामीण बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लीड बैंक, नाबार्ड, स्टेट बैंक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इत्यादि।

3. राज्य सरकार

4. निगम 

 

कृषि वित्त की सीमाएं | Limitations of Agricultural Finance – 

अखिल भारतीय ग्रामीण सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार कृषि वित्त की निम्नलिखित सीमाएं हैं –

  • कृषक को आवश्यकतानुसार व सही समय पर ऋण की प्राप्ति ना होना।
  • ऋण की प्रणालियों में विभिन्नता होना।
  • ब्याज दर में एकरूपता ना होना।
  • वित्तीय संस्था एवं कृषक के मध्य समन्वय का अभाव।

 

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FAQ | सवाल और जवाब – 

प्रश्न 1. एग्रीकल्चर फाइनेंस क्या है?

उत्तर – कृषि व्यवसाय में विभिन्न कार्यों को करने के लिए पूंजी की व्यवस्था या प्रबंधन ही कृषि वित्त या एग्रीकल्चर फाइनेंस कहलाती है।

 

प्रश्न 3. भारत में कृषि वित्त क्या है?

उत्तर – भारत में कृषि वित्त एक विशेष क्षेत्रीय बैंकिंग सेवा है जो किसानों और कृषि से जुड़े लोगों को वित्तीय समर्थन प्रदान करती है। इसमें बैंक, कृषि बैंक, कृषि क्रेडिट कोऑपरेटिव, और डिवेलपमेंट बैंक शामिल होते हैं। यह सेवाएं कृषि उपकरण, किसान क्रेडिट, ऋण सहायता, बीमा और वित्तीय सलाह जैसी विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।

 

प्रश्न 3. कृषि साख क्या है?

उत्तर – किसान कृषि व्यवसाय को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए विभिन्न स्रोतों से जो धन उधार लेता है उसे ही कृषि ऋण या कृषि साख कहते हैं।

Qus. 4. What is Agricultural Finance?

Ans. Agriculture finance is the branch of agriculture economics that deals with financial resources related to individual farm unit.

 

प्रश्न 5. कृषि लोन के लिए कौन कौन सी योजनाएं है?

उत्तर – कृषि हेतु प्रमुख ऋण योजनायें –

• एसबीआई कृषक उत्थान योजना

• कृषि स्‍वर्ण ऋण

• किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी)

•‍ उत्पाद विपणन ऋण

• किसान गोल्‍ड कार्ड योजना (केजीसी)

•‍ कृषि-क्लिनिक एवं कृषि व्‍यवसाय केन्‍द्रों की स्‍थापना

• भूमि खरीदी योजना.

 

प्रश्न 6. किसान ऋण क्यों लेता है?

उत्तर – किसान के पास पर्याप्त पूंजी उपलब्ध न होने पर किसान अपने कृषि कार्यों को समय पर पूरा करने व अधिक उत्पादन करने के लिए ऋण लेता है।

 

 

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