परिचय –
जो किसान खेती कर रहे हैं या जो नए युवा खेती करने का मन बना रहे हैं, उन सभी के मस्तिष्क में पहला सवाल यह उठता है कि खेत की तैयारी में पहला कार्य कौन सा करें या कहां से शुरुआत करें ?
तो साथियों आपके इन्ही सवालों को ध्यान में रखते हुए आज हम आपके लिए field preparation अर्थात फसल उगाने के लिए खेत की तैयारी कैसे करें ? इन्हीं सवालों से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आए है तो चलिए शुरू करते हैं आज का लेख।
फसल की बुआई के लिए खेत की तैयारी (Feild preparation)
खेत की तैयारी (Feild preparation) – First step
तो साथियों जब भी आप अपने किसी खेत में कृषि कार्य शुरू करें तो आपका पहला काम उस खेत की साफ सफाई होना चाहिए।
खेत में उगे झाड़ियों और खरपतवारों को खेत से हटाना, साफ सफाई कहलाता है।
खेत की साफ सफाई कैसे करें ?
साफ – सफाई (Cleaning) करने के लिए खेत में उगी मोटी घास , खरपतवार तथा अन्य छोटी मोटी झाड़ – झंकार को औजारों की सहायता से काटकर खेत से बाहर कर देना चाहिए।
खेत के मेंड़ पर उगे झाड़ियों को भी साफ कर देना चाहिये ।
साफ सफाई के बाद फिर खेत जोतना शुरू करना चाहिए।
खेत की साफ सफाई क्यों जरूरी है ?
साफ-सफाई इसलिए जरूरी है क्योंकि फसलों को क्षति पहुंचाने वाले हानिकारक कीड़े/कीट झाड़ियों और खरपतवारों पर अपने अंडे देते हैं। और यदि इन झाड़ियों और खरपतवारों को समय पर नष्ट नहीं किया गया तो उस स्थिति में खरपतवारों पर उपस्थित अंडों से कीट पैदा होकर हमारी फसल को हानि पहुंचाने लगते हैं।
नोट:- वे पौधे जो बिना बोये खेत में उग आते हैंऔर फसल को हानि पहुंचाते हैं ‘खरपतवार (weed)’ कहलाते हैं।
पिछली फसल पर लगे रोग कुछ मात्रा में खरपतवारों पर भी रह जाते हैं। जो आगे उगाए जाने वाले फसल को प्रभावित कर सकते हैं।
अतः रोग निवारण की दृष्टि से रोग को अगली फसल में फैलने से रोकने के लिए खरपतवारों को खेत से हटा देना ही उचित रहता है। खरपतवारों के कारण उपज में गिरावट आती है इसीलिए भी इनकी रोकथाम बहुत जरूरी है।
खेत की तैयारी (Feild preparation)– Second step
खेत की साफ-सफाई के बाद सबसे महत्वपूर्ण कार्य खेत की जुताई करना होता है। यह कार्य इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि खेत की जुताई का सीधा प्रभाव फसल की उपज पर पड़ता है।
खेत की जुताई महत्वपूर्ण क्यों है ?
● जुताई करने से खेत की मिट्टी भुरभुरी और नरम हो जाती है । मिट्टी के भुरभुरी होने पर पौधे की जड़ें अधिक गहराई तक जाती है और पोषक तत्वों को ग्रहण करती है। भुरभुरी मिट्टी में जड़ों का फैलाव अधिक होता है जिससे पौधे अधिक मात्रा में भोजन ग्रहण कर पाता है।
● जुताई से खरपतवार मिट्टी के अंदर दबकर सड़ जाते हैंजो बाद में खाद का काम करते हैं।
● मिट्टी के भुरभुरी होने पर इसमें जल, वायु और ताप का आवागमन और संचालन सफलतापूर्वक हो पाता है ।
● ठोस मिट्टी की अपेक्षा भुरभुरी मिट्टी में लाभदायक जीवाणु अधिक सक्रियता से कार्य करते हैं।
● हानि कारक कीट और उसके अंडे मिट्टी के दरारों में रहते हैं जो जुताई के कारण मिट्टी में दबकर नष्ट हो जाते हैं।
खेत की जुताई कब करें!
जुताई का समय उस स्थान के जलवायु और फसल की किस्म पर निर्भर करता है।
जुताई दिन में सुबह, दोपहर या शाम किसी भी समय किया जा सकता है। जुताई करते समय मिट्टी अधिक गीली या अधिक सूखी नहीं होनी चाहिए। क्योंकि गीली मिट्टी के कारण खेत में ढेले बन जाते हैं। और फिर इन ढेलों को तोड़ने के लिए अतिरिक्त श्रम और समय खर्च होता है और यदि मिट्टी सूखी हुई है तो हल मिट्टी को काट नहीं पाता है।
अतः जुताई करते समय खेत की मिट्टी अधिक गीली या सूखी न हो। इसमें इतनी आद्रता हो कि वह भुरभुरी हो जाए ।
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई :-
अधिकतर क्षेत्रों में खेत की तैयारी के पूर्व अथवा फसल बुआई के पहले ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई की जाती है जो प्राथमिक भू-परिष्करण का हिस्सा है । और यह जरूरी और महत्वपूर्ण भी है । इस जुताई में खासकर गहरी जुताई व मिट्टी को पलटा जाता है जिसके लाभ निम्नलिखित है –
ग्रीष्मकालीन जुताई के लाभ :-
1. ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करने से खेत की दरारों पर उपस्थित कीड़े – मकोड़े के अंडे ऊपर आने से नष्ट हो जाते हैं ।
2. इससे पुराने फसल के रोग के रोगाणु भी नष्ट हो जाते हैं जो पौधों के अवशेष व खरपतवारों पर आश्रित होते हैं ।
3. पुराने फसल के अवशेष व खरपतवार के पौधे मिट्टी में दब जाते हैं ।
4. इससे मिट्टी की जल धारन क्षमता व वायु संचार में वृद्धि होती है ।
5. मृदा की संरचना में सुधार होता है ।
6. कार्बनिक खाद जैसे – गोबर की खाद आदि को खेत में मिलाने में मदद मिलती है ।
7. द्वितीयक भू-परिष्करण या खेत की तैयारी के लिए आधार तैयार हो जाती है ।
खेत की जुताई कैसे करें ?
खेत की जुताई 9 इंच की गहराई तक करनी आवश्यक है क्योंकि खेत की 9 इंच तक की मिट्टी ही उपजाऊ होती है। इसके बाद की गहराई में मिट्टी की उपजाऊपन घटने लगता है।
खेत में उगाई जाने वाली अधिकांश फसलों का Root zone 9 इंच की गहराई तक होता है अर्थात अधिकांश फसलों की जड़े 10 इंच की गहराई में फैली रहती है।
लेकिन कुछ फसलें ऐसी होती है जिनकी जड़े और अधिक गहराई तक जाती है-
जैसे – गहरी जड़ वाली फसलें, लंबी अवधि वाली फसलें और फल वृक्ष ।
अगर आप किसी भी प्रकार की फसल लगा रहे हैं तो एक उचित मापदंड तय कर लें कि 9 इंच की गहराई तक आपको हमेशा जुताई करनी है। यदि आपके पास और अधिक गहराई तक जुताई करने का यत्रं उपलब्ध है, तो आप अधिक गहराई तक जुताई कर सकते हैं।
खेतों की जुताई के प्रकार –
जुताई कई प्रकार की होती है, जैसे – गहरी जुताई, छीछली (कम गहरी) जुताई, ग्रीष्म ऋतु की जुताई, अलाई या हराई, मध्य से बाहर की ओर या बाहर से अंदर की ओर जुताई।
हर प्रकार की जुताई में कुछ ना कुछ विशषेता होती है।
गहरी जुताई से मिट्टी अधिक गहराई तक भुरभुरी और उपजाऊ हो जाती है और यह गहरी जाने वाली जड़ों के लिए अत्यतं उपयुक्त होती है।
छीछली (कम गहरी) जुताई झकड़ा और कम गहरी जानेवाली जड़ों के लिए उपयुक्त होती है।
ग्रीष्म ऋतु (summer season) की जुताई से मिट्टी में उपस्थित हानि कारक कीड़े तथा उनके अण्डे नष्ट हो जाते हैं और साथ ही खरपतवार भी नष्ट हो जाते हैं।
ग्रीष्म ऋतु में की जाने वाली जुताई से मिट्टी की जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है। (वैसे ग्रीष्मकालीन जुताई के लाभ ऊपर बता दिया गया है 👆)
यदि खेत बहुत बड़ा है तो उसे हलाई या हराई नियम से कई भागों में बांटकर जुताई करते हैं (हराई उतने भाग को कहते हैं जितना एक बार में सुगमता से जोता जा सकता है)
खेत की जुताई कितनी बार करें !
यह बात मुख्यतः खेत की मिट्टी की बनावट और किस्म पर निर्भर करती है। यदि खेत की मिट्टी भारी किस्म की है। जैसे – चिकनी मिट्टी, तो इस स्थिति मेंखेत को एक से अधिक बार जोतने की आवश्यकता पड़ती है।
और यदि खेत की मिट्टी हल्की किस्म की है। जैसे – बलुई मिट्टी। तो इस स्थिति में खेत की जुताई कम से कम करनी चाहिए । हल्की मिट्टी की जुताई हमेशा कम करनी चाहिए (अर्थात खेत को बार-बार नहीं जोतना चाहिए)
इसका कारण यह है कि हल्की मिट्टी की जुताई अधिक बार करने से मिट्टी अत्यधिक भुरभुरी हो जाती है। और ऐसी अधिक भुरभुरी मिट्टियों में पौधों के जड़ों की पकड़ कमजोर होती है। मिट्टी के गीला होने के बाद पकड़ और भी ज्यादा कमजोर हो जाती है। फलस्वरुप हवा चलने पर पौधे आसानी से गिर जाते हैं।
पहली जुताई किस यंत्र से करें ?
पहली जुताई हमेशा मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए।
कुछ किसान भाई पहली जुताई सामान्य कल्टीवेटर से भी करते हैं और खेत आसानी से जुत भी जाती है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि , कृषि यंत्र विशेषकर कल्टीवेटर की सिफारिश द्वितीयक भू-परिष्करण यंत्र के रूप में करते हैं ।
क्योंकि मिट्टी पलट हल से खेत जोतने के कई फायदे होते हैं जो सामान्य कलटीवेटर के प्रयोग से नही मिल पाता है।
मिट्टी पलटने वाला हल पहले मिट्टी को काटता है, और फिर पलट देता है। ऊपर की मिट्टी को नीचे और नीचे की मिट्टी को ऊपर कर देता है। इससे होता यह है कि जमीन के दरारों में मौजदू कीट और रोग मृदा सतह पर आ जाते हैं और तेज धूप पड़ने पर मर जाते हैं। मिट्टी पलट हल मिट्टी के सतह पर उपस्थित फसलों के ठूंठ और अन्य वनस्पतियों को जमीन की गहराई में पलटा कर मिट्टी में दबा देता है। जो कुछ समय बाद सड़कर खाद बन जाती है।
पहली जुताई के यंत्र :-
1. देशी हल
2. मोल्ड बोर्ड प्लाउ (MB प्लाऊ)
3. डिस्क प्लाउ आदि ।
आखिरी जुताई किस यंत्र से करें !
आखिरी जुताई के लिए सामान्यतः कल्टीवेटर और हैरो का उपयोग किया जाता है। आखरी जुताई में देशी हल का प्रयोग भी किया जा सकता है और ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी आखिरी जुताई देशी हल से की जाती है।
आखिरी जुताई में खेत को अत्यधिक नहीं जोतना है बल्कि हल्की जुताई करनी है ताकि बीज बुआई के लिए एक अच्छी बीज शैय्या तैयार हो सके। और खेत में उगे छोटे-मोटे खरपतवार भी आसानी से नष्ट हो सके।
आखिरी जुताई के यंत्र –
1. कल्टीवेटर
2. हैरो।
क्या बिना जुताई खेती सम्भव है ?
हाँ बिल्कुल आप खेत को बिना जोते या कम से कम जोत कर भी सफलतापूर्वक फसल उगा सकते हैं।
इस तकनीक को Zero tillage कहा जाता है और इस विधि में बीज बुआई के लिए, मशीन का प्रयोग किया जाता है।
इस विधि में मशीन द्वारा मिट्टी को कुछ सेंटीमीटर की गहराई तक चीरते हुए बीज को बोया जाता है। इसमें ध्यान रखने योग्य बात यह है कि खेत खरपतवार रहित होना चाहिए और भूमि में पर्याप्त मात्रा में नमी होनी चाहिए।
यह विधि भारत में कम प्रचलित है। उत्तर भारत के क्षेत्रों में इस विधि का प्रयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
निष्कर्ष –
तो साथियों जब भी आप अपने खेत में कृषि कार्य शुरू करें तो आपका पहला काम उस खेत की साफ सफाई होना चाहिए।
खेत की साफ – सफाई के बाद सबसे महत्वपूर्ण कार्य खेत की जुताई करना होता है। यह कार्य इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि खेत की जुताई का सीधा प्रभाव फसल की उपज पर पड़ता है।
जुताई का महत्त्व, खेत जुताई के प्रकार, जुताई का समय, जुताई के यत्रं आदि फील्ड प्रिपरेशन के महत्वपूर्ण भाग होते हैं।
रेफरेंस –
इस ब्लॉग पोस्ट में दी गई जानकारी हमने कई रिलायबल स्रोतों से एकत्रित की है जैसे कि – नेशनल अवॉर्ड
विनर श्री आकाश चौरसिया जी के ट्रेंनिग प्रोग्राम से, विकास पीडिया से एवं टेक्स्ट बुक से हमने सामग्री ली है। और आवश्यकतानुसार टीम Agrifieldea के इनपुट भी शामिल किए गए हैं।
अपील –
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समाप्त। धन्यवाद।