- स्थानांतरण कृषि (Shifting Agriculture in Hindi), जिसे स्लैश-एंड-बर्न (slash and burn farming) या स्विडेन खेती के रूप में भी जाना जाता है, स्थानांतरित खेती एक पारंपरिक कृषि पद्धति है जो सदियों से विभिन्न स्वदेशी समुदायों द्वारा अपनाई जाती रही है। इस विधि में भूमि के एक टुकड़े को साफ़ कर, कुछ वर्षों तक फसल उगाकर और फिर मिट्टी की उर्वरता कम होने पर एक नए भूखंड को फिर से काटकर साफ करके खेती किया जाता है। यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है।
इस लेख में हम जानेंगे कि स्थानांतरित कृषि क्या होती है(What is shifting Agriculture), यह कैसे काम करती है, स्थानांतरित कृषि की क्या क्या विशेषताएँ हैं और इसके लाभ और हानि क्या क्या है? इसके लिए पूरी पोस्ट जरूर पढ़ें…
स्थानांतरित कृषि क्या है (What is Shifting Agriculture in hindi)
स्थानांतरित कृषि का अर्थ (Meaning of Shifting Agriculture in hindi)
स्थानांतरित कृषि या झूम खेती जनजाति लोगों के द्वारा जंगली क्षेत्र में अपनाई जाती है। जंगल के किसी एक क्षेत्र को जलाकर या काटकर साफ किया जाता है और उस जमीन पर कृषि कार्य किया जाता है। कृषि कार्य के अंतर्गत वर्ष दर वर्ष एक ही प्रकार की फसल उगाई जाती है। इससे मिट्टी की उत्पादकता में कमी आ जाती है, तब ये लोग इस जगह को छोड़कर अन्य जगह जाकर पुनः जंगल को साफ करके खेती शुरू करते हैं।
इस प्रकार की खेती में एक ही प्रकार की फसल (मुख्यतः चावल, गेहूं, मक्का इत्यादि) प्रत्येक वर्ष उगाई जाती है। वर्ष दर वर्ष फसल निश्चित होती है लेकिन जमीन बदल जाती है अर्थात निश्चित फसल अनिश्चित भूमि पर उगाई जाती है। भूमि के बदलाव के कारण ही इसे स्थानांतरित कृषि (Shifting Agriculture) कहते हैं। इसे झुमिंग (Jhooming) या झूम खेती भी कहते हैं। कुछ हद तक इसे Land Rotation भी कहा जा सकता है। स्थानांतरित खेती प्रारंभिक खेती का परिचायक है और इसे भू-क्षरण को बढ़ावा मिलता है।
स्थानांतरित कृषि की विशेषताएं | चरण (Characteristics of Shifting Agriculture)
स्थानांतरित कृषि में निम्नलिखित चरण शामिल है
1. भूमि साफ़ करना: स्थानांतरित कृषि में सबसे पहले, पेड़ों और झाड़ियों से ढकी भूमि का एक टुकड़ा चुन लिया जाता है और वहां की पेड़ों और झाड़ियों को काटकर या जलाकर उस क्षेत्र को खेती के लिए साफ कर लिया जाता है।
2. फसलें बोना: एक बार जब ज़मीन साफ़ हो जाए, तो इसके बाद उस वहां फसलें उगाई जाती है। जले हुए मलबे से मिलने वाले पोषक तत्व फसलों को बढ़ने में काफी मदद करते हैं।
3. कटाई: कुछ महीनों के बाद फसलें कटाई के लिए तैयार हैं। किसान को अच्छी उपज मिलती है क्योंकि मिट्टी पोषक तत्वों से भरपूर थी।
4. भूमि की उर्वरा शक्ति का ह्यस: कुछ वर्षों बाद उस भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट होने लगती है।
5. भूमि को छोड़ना: स्थानांतरित खेती का अनोखा हिस्सा यह है कि उसी भूमि पर खेती जारी रखने और मिट्टी की उर्वरा ख़त्म करने के बाद किसान उस भूमि को छोड़कर एक नए भूखंड पर चले जाते हैं।
6. फिर से वही प्रक्रिया: नई जगह मिलने के बाद खेती करने के लिए फिर से उपरोक्त प्रक्रिया दोहराया जाता है जैसे- जंगल या पेड़ो को काटकर या जलाकर साफ करना, फसल बोना, फसल की कटाई और कुछ महीने या वर्षों के बाद उस भूमि को छोड़कर नई भूमि में खेती।
स्थानांतरण कृषि कैसे कार्य करती है?
स्थानान्तरित कृषि (Shifting Agriculture) में पहला कदम भूमि के एक टुकड़े को साफ़ करना है। किसान पेड़ों को काटकर और उन्हें जलाकर ऐसा करते हैं। आग से निकलने वाली राख मिट्टी को उर्वर बनाती है, और इस नए साफ किए गए क्षेत्र में फसलें उगाते हैं।
स्थानान्तरित कृषि में उगाई जाने वाली फसलें क्षेत्र के आधार पर भिन्न-भिन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, दक्षिण पूर्व एशिया में, मुख्य फसलों में चावल, मक्का और कसावा शामिल हैं। अफ़्रीका में बाजरा, ज्वार और रतालू शामिल हैं।
किसान आमतौर पर अपनी फसल बरसात के मौसम में लगाते हैं। फसलें तेजी से बढ़ती हैं और शुष्क मौसम में काटी जाती हैं।
कुछ वर्षों के बाद साफ़ किए गए क्षेत्र की मिट्टी अपनी उर्वरता खो देती है। फिर किसान इस भूमि को ऐसे ही छोड़कर भूमि के दूसरे भूखंड पर चले जाते हैं और यही प्रक्रिया को दोहराते हैं।
स्थानांतरित कृषि के लाभ | Advantages of Shifting Agriculture
स्थानांतरित कृषि के कुछ लाभ निम्नलिखित है-
1. कम लागत वाली कृषि प्रणाली: स्थानांतरण कृषि एक कम लागत वाली कृषि प्रणाली है जिसमें उर्वरकों या कीटनाशकों की बहुत कम आवश्यकता होती है। कृत्रिम आदानों पर निर्भर अन्य तरीकों की तुलना में यह बहुत कम लागत वाली कृषि पद्धति है।
2. सतत कृषि प्रणाली: स्थानान्तरित कृषि फसलों और भूमि को चक्रित करके और भूमि को कुछ समय के लिए परती पड़ी रहने देती है जिससे मिट्टी को अपने पोषक तत्वों को पुनर्जीवित करने का समय मिल जाता है।
3. उत्पादक कृषि प्रणाली: स्थानान्तरित कृषि विशेषकर कम जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों में एक उत्पादक कृषि प्रणाली हो सकती है।
4. मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार: स्थानांतरित कृषि के लिए भूमि को साफ करने के लिए उपयोग की जाने वाली आग से निकलने वाली राख पोषक तत्वों और कार्बनिक पदार्थों को जोड़कर मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकती है।
5. कीटों और बीमारियों का खतरा कम: स्थानांतरित कृषि के बदलते फसल पैटर्न इन रोगजनक जीवों के जीवनचक्र को तोड़कर कीटों और बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं।
6. सांस्कृतिक महत्व: स्थानान्तरित कृषि प्रायः एक सांस्कृतिक परम्परा है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती है। यह किसी समुदाय की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है।
स्थानांतरित कृषि से हानि | Disadvantages of Shifting Agriculture
स्थानांतरित कृषि के हानियाँ इस प्रकार है-
1. वनों की कटाई: स्थानांतरित कृषि से वनों की कटाई हो होती है, क्योंकि नई फसल के लिए खेत या रास्ता बनाने के लिए पेड़ों को काट दिया जाता है। इसका पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
2. मृदा अपरदन: पेड़ों को साफ करने और खड़ी ढलानों पर फसलें लगाने से मिट्टी के कटाव का खतरा बढ़ सकता है। इससे ऊपरी मिट्टी की हानि हो सकती है, जो मिट्टी की सबसे उपजाऊ परत होती है।
3. वायु प्रदूषण: पेड़ों और अन्य वनस्पतियों को जलाने से प्रदूषक तत्व हवा में फैल सकते हैं, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर। ये प्रदूषक जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण जैसी समस्याओं में योगदान कर सकते हैं।
4. जैव विविधता की हानि: स्थानांतरित कृषि के लिए वनों की कटाई से जैव विविधता का नुकसान होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वन विभिन्न प्रकार के पौधों और जानवरों को आवास प्रदान करते हैं।
5. खाद्य आपूर्ति की समस्या: स्थानांतरित कृषि के साथ बढ़ती जनसंख्या के लिए स्थिर खाद्य आपूर्ति बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
6. शिक्षा और प्रशिक्षण का अभाव: कई स्थानान्तरित कृषकों के पास स्थायी रूप से स्थानान्तरित कृषि करने के लिए आवश्यक शिक्षा और प्रशिक्षण का अभाव है। इससे पर्यावरणीय समस्याएं पैदा हो सकती हैं और फसल की पैदावार कम हो सकती है।
7. बढ़ती जनसंख्या के लिए हानि: स्थानांतरित कृषि एक विनाशकारी कृषि प्रणाली हो सकती है, विशेषकर उच्च जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों में।
निष्कर्ष
स्थानांतरण कृषि (Shifting Agriculture) एक पारंपरिक कृषि पद्धति है जिसका उपयोग दुनिया के कई हिस्सों में सदियों से किया जाता रहा है। भारत मे इसका प्रचलन मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों, मध्यप्रदेश, असम, मणिपुर, नागालैंड के कुछ हिस्सों, बिहार के छोटा नागपुर पठारी क्षेत्र तथा भारत के अन्य पठारी क्षेत्रों में आज भी है।
इसके फायदे और नुकसान दोनों हैं लेकिन इसके फायदे से ज्यादा इसके नुकसान है और इसका भविष्य भी अनिश्चित है।
मुझे आशा है कि इस ब्लॉग पोस्ट ने आपको स्थानांतरित कृषि (Shifting Agriculture) को समझने में काफी मददगार साबित हुआ है। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो कृपया कमेंट करें। धन्यवाद!
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