ग्राफ्टिंग (Grafting) क्या है? | ग्राफ्टिंग की कौन-कौन सी विधियाँ है? | Methods of Grafting and Advantages of Grafting in Hindi

ग्राफ्टिंग (Grafting) क्या है? | ग्राफ्टिंग की कौन-कौन सी विधियाँ है? | Methods of Grafting and Advantages of Grafting in Hindi

 

ग्राफ्टिंग क्या है? (What is Grafting in Hindi)

आपने अक्सर या कही न कहीं देखा या गौर किया होगा कि आपने या आपके घर में किसी ने भी एक अच्छी किस्म के फल या मस्त मीठे फल जैसे कि चलिये फलों के राजा आम का ही उदाहरण ले लेते हैं। आपने अच्छे किस्म के आम के फल खाया और उसके बीज को उगा दिया । लेकिन जब वो आम का पेड़ बड़ा होता है तो उस आम में वही गुण नही होता जिसे आपने खाया था । अर्थात उसके गुणों में परिवर्तन आ जाता है ।

अगर आपको किसी भी पौधे या फल की अपनी इच्छानुसार गुणों वाले पौधे लेना है तो आपको ग्राफ्टिंग (Grafting) तकनीक या अन्य वानस्पतिक प्रवर्धन का उपयोग करना होगा । वह कैसे करते हैं इसे जानने के लिए Keep Reading…….

आज हम ग्राफ्टिंग (Grafting in hindi) के बारे में पूरी टॉपिक पड़ेंगे कि-  ग्राफ्टिंग क्या है? ग्राफ्टिंग की परिभाषा, किसी पौधे की ग्राफ्टिंग कैसे करें? ग्राफ्टिंग से नए पौधे कैसे तैयार करें? ग्राफ्टिंग के फायदे अथवा लाभ,  ग्राफ्टिंग की विधियां या प्रकार आदि।

ग्राफ्टिंग का अर्थ (Meaning of Grafting in hindi)

                    ग्राफ्टिंग पौधे तैयार करने की बहुत ही पुरानी व बहुत ही प्रचलित विधि है । ग्राफ्टिंग करने के लिए दो पौधों की आवश्यकता होती है । एक पौधा अथवा पेड़ वयस्क (फल या फूल उत्पन्न करने वाला) होना चाहिए तथा दूसरा पौधा छोटा जड़ वाली होनी चाहिए । ग्राफ्टिंग करने के लिए वयस्क पौधे की शाखा (Scion) को छोटे जड़ वाली पौधे में (Root Stock) बांध दिया जाता है । जिससे यह आपस में मिलकर एक नए पौधे में विकसित हो जाते हैं ।

ग्राफ्टिंग (Grafting) से तैयार पौधे का गुण पैतृक वृक्ष के समान ही होता है जिसकी शाख (Scion) काटकर जड़ वाले पौधे (Root Stock) में लगाया जाता है । इस विधि से आप अपनी इच्छा के अनुसार उत्कृष्ट गुणों वाले पौधे तैयार कर सकते हैं । ग्राफ्टिंग कैसे करते हैं ? इसके बारे में पूरी सटीक जानकारी आगे बढ़ेंगे तो Keep Reading…….

 

ग्राफ्टिंग की परिभाषा (Definition of Grafting in hindi)

ग्राफ्टिंग (Grafting) पौध प्रसारण (Plant Propagation) कि वह कला एवं तकनीक है जिसमें एक वयस्क पौधे के शाख (Scion) को अलग कर उसी कुल व उसी मोटाई के दूसरे उगाए गए पौधे (Root Stock) पर बांध दिया जाता है, जिससे यह दोनों अच्छी तरह से सम्मिलित होने के बाद एक नए पौधे में विकसित हो जाते हैं ।

‘Grafting is the art of joining parts of plants together in such a manner that they will unite and continue their growth as one plant.’

ग्राफ्टिंग तकनीक (Grafting Technique) वह विधि है जिसमें दो पौधों के अलग-अलग कटे हुए तनों को लेते हैं जिसमे से एक पौधा जड़ सहित होता है तथा एक इच्छित पौधे की शाखा होती है । इन दोनों को इस प्रकार एक साथ जोड़ दिया जाता है कि दोनों तने आपस में संयुक्त होकर एक नए पौधे के रूप में विकसित हो जाते हैं ।

ग्राफ्टिंग में प्रयुक्त जड़ वाले पौधे को मूलवृन्त (Root Stock) तथा दूसरे पौधे के कटे शाखा या भाग को सायन (Scion) कहते हैं ।

Root Stock यह ग्राफ्टिंग में प्रयुक्त जड़ वाली नीचे की आधारीय पौधा है जिसमें सायन (Scion) को लाकर बांधा जाता है । सामान्यता मूलवृंत को बीज द्वारा उत्पन्न किया जाता है । सायन को मूलवृन्त से ही पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है ।

Scion – यह चुने गए पौधे की अलग की गई शाखा का टुकड़ा है जिसे ग्राफ्टिंग में मूलवृन्त (Root Stock) के ऊपर लाकर बांधा जाता है । शाख (Scion) ऐसे फल वृक्ष से चुननी चाहिए जो अधिक व उत्तम गुणों वाले फल उत्पन्न करता हो । चुनी हुई शाख की डालियाँ स्वस्थ एवं परिपक्व अवस्था में होना चाहिए ।

मूलवृन्त तथा शाख एक ही कुल के होना चाहिए ।

 

ग्राफ्टिंग के फायदे (Advantages of Grafting)

● ग्राफ्टिंग से अपनी इच्छा अनुसार पैतृक वृक्ष से शाख का चुनाव करके उत्कृष्ट गुणों वाले पौधे तैयार किए जा सकते हैं ।

● ग्राफ्टिंग से तैयार पौधा अपने पैतृक वृक्ष के समान गुणों वाला फल देता है ।

● ग्राफ्टिंग द्वारा तैयार किया गया पौधा बीज द्वारा उगाए गए पौधे की तुलना में बहुत जल्दी फल देना प्रारंभ कर देते हैं ।

● कम गुणों वाले पौधे को उत्कृष्ट गुणों वाले पौधे में परिवर्तित किया जा सकता है ।

● ग्राफ्टिंग से तैयार किए गए पौधे बीज द्वारा उगाए गए पौधों की तुलना में छोटे होते हैं । जिससे प्रति हेक्टेयर अधिक पौधे लगाए जा सकते हैं तथा इनमें विभिन्न कर्षण क्रियाएं जैसे – निराई – गुड़ाई, दवाइयों का छिड़काव, फलों की तुड़ाई आदि कार्य करना आसान होता है।

● किसी पौधे की उन्नत जाति जो किसी जगह विशेष के वातावरण में विकसित ना हो सके, उसे उस विशेष जगह की उसी जाति के देसी जाति के मूलवृंत (Root Stock) पर ग्राफ्टिंग द्वारा सफलता के साथ उगाया जा सकता है ।

● ग्राफ्टेड पौधों को गमले में भी उगाया जा सकता है ।

 

ग्राफ्टिंग की विधियां (Methods of Grafting)

 

ग्राफ्टिंग के प्रकार (Types of Grafting)

ग्राफ्टिंग की बहुत से प्रकार अथवा विधियां है जिसे पौधों की अनुकूलता व सफलता के अनुसार अलग-अलग पौधों में अलग-अलग अपनाई जाती है जैसे –

(1) साधारण, व्हीप या स्प्लाइस ग्राफ्टिंग (Simple, Whip or Splice Grafting) 

(2) नोच ग्राफ्टिंग (Notch Grafting)

(3) जिह्वा ग्राफ्टिंग (Tongue Grafting)

(4) स्फान या दीर्ण ग्राफ्टिंग (Wedge or Cleft Grafting)

(5) Saddle Grafting

(6) पार्श्व ग्राफ्टिंग (Side Grafting)

(7) ब्रिज ग्राफ्टिंग (Bridge Grafting) 

 

(1) Simple, Whip or Splice Grafting

ग्राफ्टिंग की इस विधि में मूलवृन्त (Root Stock) को 22.5 सेंटीमीटर (जमीन से) काट लिया जाता है ।

अब ऊपरी भाग को ढाई से 4 सेंटीमीटर की लंबाई में तेज ब्लेड या ग्राफ्टिंग चाकू से तिरछा ढलानदार काट लिया जाता है ।

फिर चुने गए इसी कुल व उसी मोटाई वाले शाख (Scion) को उसके पैतृक वृक्ष (Parent plant) से अलग कर जिस प्रकार मूलवृन्त पर कटान बनाया जाता है उसी के जैसा बराबर शाख पर भी कटान बनाते हैं ।

अब दोनों को आपस में अच्छी तरह मिलाकर रोपण पट्टीका (Grafting Tap) से बांध दिया जाता है । ग्राफ्टिंग टेप उपलब्ध ना होने पर सामान्य टेप और पॉलिथीन से भी बांधा जा सकता है ।

ग्राफ्टिंग (Grafting) क्या है? | ग्राफ्टिंग की कौन-कौन सी विधियाँ है? | Methods of Grafting and Advantages of Grafting in Hindi

 

(2) Notch Grafting

इस विधि को अपनाने के लिए उन पौधों को मूलवृन्त के लिए चुना जाता है जिनके तने मोटे अथवा जिनके तनों का व्यास 7 – 8 सेंटीमीटर से अधिक हो ।

अब इस मूलवृन्त को जमीन से लगभग 40 – 45 सेंटीमीटर छोड़कर काट दिया जाता है । फिर इस मूलवृन्त में 4-5 नोच तैयार किया जाता है ।

अब नोच की लंबाई व आकार के बराबर ही शाख (Scion) पर नीचे की ओर कटान बनाया जाता है ।

अब इस शाख को एक-एक कर नोच में फिट किया जाता है तथा ग्राफ्टिंग अथवा रोपण मोम को रिक्त स्थानों में भर दिया जाता है । लगभग तीन चार महीने में पौधे तैयार हो जाते हैं।

What is Grafting in hindi? Methods of Grafting and Advantages of Grafting

 

(3) Tongue Grafting

यह साधारण ग्राफ्टिंग या व्हीप ग्राफ्टिंग के समान ही है फर्क बस इतना ही है कि इस विधि में मूलववृन्त तथा शाख में साधारण कटान बनाने के बाद मूलवृन्त में ऊपर से तथा शाख में नीचे से जिह्वा आकार (Tongue Shape) बना कर दोनों को आपस में फंसा कर बांध देते हैं ।

What is Grafting in hindi? Methods of Grafting and Advantages of Grafting

 

(4) Wedge or Cleft Grafting

यह विधि भी साधारण ग्राफ्टिंग से मिलता-जुलता है क्योंकि साधारण ग्राफ्टिंग में मूलवृन्त (Root Stock) तथा शाख (Scion) को एक एक तरफ से तिरछा ढलावदार कटान बनाया जाता है, लेकिन इसमें मूलवृन्त पर तेज चाकू अथवा ब्लेड की सहायता से ‘V’ आकार का Cleft बनाया जाता है (जैसा चित्र में दिखाया गया है), तथा शाख में उसके विपरीत दोनों तरफ तिरछा काट कर Wedge बनाया जाता है ।

अब शाख को मूलवृन्त में भली प्रकार से फंसाकर बांध दिया जाता है ।

ग्राफ्टिंग (Grafting) क्या है? | ग्राफ्टिंग की कौन-कौन सी विधियाँ है? | Methods of Grafting and Advantages of Grafting in Hindi

 

(5) Saddle Grafting

यह विधि Wedge or Cleft Grafting के बिल्कुल विपरीत है । इसमें मूलवृन्त के ऊपर Wedge तथा शाख के निचले सिरे पर ‘V’ आकार का Cleft तैयार करके आपस में फंसाकर बांध दिया जाता है ।

What is Grafting in hindi? Methods of Grafting and Advantages of Grafting

 

3 thoughts on “ग्राफ्टिंग (Grafting) क्या है? | ग्राफ्टिंग की कौन-कौन सी विधियाँ है? | Methods of Grafting and Advantages of Grafting in Hindi”

  1. एअरलेयरिंग क्या है?यह कैसे तैयार किया जाता है?

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  2. अयरलेयरिंग के बारे मे पूरी जानकारी हेतु इसी पोस्ट के नीचे दिए गए लेयरिंग वाले भाग/आर्टिकल को पढ़ सकते हैं।

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