नमस्ते दोस्तों! अगर आप एक किसान है या खेती-बाड़ी में रुचि रखते हैं तो आज आप इस लेख में खेती की एक ऐसी विधि या तकनीक के बारे में जानने वाले हैं जिसमें कम लागत में दोगुना मुनाफा कमाया जा सकता है। जिसे हम स्मार्ट खेती (Smart Farming in Hindi) का नाम दे सकते हैं। स्मार्ट खेती, खेती का एक ऐसा तकनीक है जो आज के दौर में किसानों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
इस लेख में हम आसान भाषा में बताएंगे कि स्मार्ट खेती क्या है और स्मार्ट खेती कैसे करें? कैसे टेक्नोलॉजी का उपयोग करके आप अपनी उसी जमीन से ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
स्मार्ट खेती क्या है? (Smart Farming in Hindi)
स्मार्ट खेती जिसे प्रेसिजन एग्रीकल्चर (Precision Agriculture) भी कहते हैं। स्मार्ट खेती, खेती की एक आधुनिक तकनीक है। जिसमें खेती में आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके खेती को और भी आसान और प्रभावी बनाया जाता है। इसमें ड्रोन, जीपीएस, सेंसर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे तकनीकों का उपयोग होता है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि सही समय पर संसाधनों जैसे पानी, उर्वरक, दवाइयां आदि का सही मात्रा में इस्तेमाल करना।
उदाहरण के लिए अगर आपके खेत के किसी हिस्से में कुछ समस्या हो जैसे कि पानी की कमी, बीमारी या कीट – व्याधि तो स्मार्ट खेती की यह टेक्नोलॉजी आपको रियल टाइम में जानकारी देते हैं। जिससे आप सिर्फ उस हिस्से का ही उपचार स्मार्ट तरीके से करके संसाधनों का सही तरीके व सही मात्रा में इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे न केवल संसाधनों की बचत होती है बल्कि फसल की गुणवत्ता और मात्रा भी बढ़ती है तथा पर्यावरण भी संतुलित रहता है।
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स्मार्ट खेती (Smart Farming) के मुख्य उद्देश्य
1. उत्पादन और गुणवत्ता में वृद्धि – स्मार्ट खेती का सबसे बड़ा उद्देश्य है फसल की पैदावार में वृद्धि करना। स्मार्ट खेती की विभिन्न तकनीकों की मदद से फसल की सटीक निगरानी कर डेटा के आधार पर फसल की जरूरत को ठीक-ठाक समझ सकते हैं। जिसके आधार पर फसल प्रबंधन की सही निर्णय लेकर फसल की मात्रा व गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है।
2. संसाधनों का सही उपयोग – पानी, उर्वरक, रोगनाशक, कीटनाशक जैसे आदि संसाधनों की बर्बादी रोकना स्मार्ट खेती का एक प्रमुख उद्देश्य है। कहा जाए तो स्मार्ट खेती में संसाधनों का जरूरत के अनुसार स्मार्ट तरीके से उपयोग किया जाता है। स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम जैसे ड्रिप इरीगेशन और सेंसर आधारित तकनीक की मदद से पानी का जरूरत के अनुसार सही मात्रा में उपयोग किया जाता है। इसी तरह वेरिएबल रेट टेक्नोलॉजी (VRT) से उर्वरक, दवाइयां और कीटनाशक सटीक मात्रा में डाले जाते हैं, इससे लागत कम होती है तथा उत्पादन बढ़ता है।
3. सही निर्णय लेना – स्मार्ट खेती की विभिन्न टेक्नोलॉजी की मदद से मिलने वाला रियल टाइम डेटा किसानों को मौसम मिट्टी की स्थिति और फसल की विभिन्न अवस्थाओं पर फसल की जल मांग, पोषक मांग और फसल की सेहत के बारे में सटीक जानकारी देता है। इससे किसान पहले से योजना बना सकते हैं जैसे कि कब बुवाई करना है, फसल को पानी कब देना है, फसल में उर्वरक व कीटनाशक कब व कितनी मात्रा में डालना है।
4. समय और श्रम की बचत – स्मार्ट खेती का एक और मुख्य उद्देश्य समय और श्रम की बचत करना है। ड्रोन की मदद से खेत की निगरानी व दवाइयों का छिड़काव, ऑटोमेटेड इरिगेशन सिस्टम और AI आधारित डेटा एनालिसिस की मदद से किसानों को घंटों खेत में समय बिताने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इससे किसानों का समय, श्रम और अतिरिक्त मजदूरी बच जाता है।
5. लागत में कमी और मुनाफे में वृद्धि – किसानों की आय बढ़ाना स्मार्ट खेती का एक मुख्य उद्देश्य है। जब एक किसान संसाधनों का सही उपयोग कर सही निर्णय लेता है व डेटा की मदद से फसल का सही प्रबंधन करता है तो खेती की लागत तो कम होती ही है बल्कि उत्पादन भी बढ़ता है और किसान की आय में वृद्धि भी होती है।
6. पर्यावरण की सुरक्षा – पारंपरिक खेती में ज्यादा उर्वरकों व रसायनों के उपयोग करने से मिट्टी और पानी प्रदूषित हो जाते हैं। लेकिन स्मार्ट खेती में उर्वरक व कीटनाशक रसायनों जैसे संसाधनों का संतुलित उपयोग होता है जिससे पर्यावरण पर पढ़ने वाला नकारात्मक प्रभाव कम हो जाता है।
स्मार्ट खेती के फायदे (Benefits of Smart Farming in Hindi)
स्मार्ट खेती (Smart Farming) के निम्नलिखित लाभ है –
1. अधिक उत्पादन – स्मार्ट खेती से आप फसल की पैदावार 20 – 30% तक बढ़ा सकते हैं क्योंकि स्मार्ट खेती से पानी, तापमान, मिट्टी और फसलों की आवश्यकताओं का सटीक डेटा मिलता है। प्राप्त डाटा के अनुसार फसलों को उसकी जरूरत के हिसाब से सही समय पर खाद, पानी और दवाइयां देने से फसल की पैदावार बढ़ती है।
2. लागत में कमी – डेटा की मदद से उर्वरकों, कीटनाशकों या अन्य संसाधनों का सही मात्रा में उपयोग होता है। जिससे अनावश्यक खर्च कम होता है तथा मशीन और ऑटोमेशन की मदद से श्रम लागत भी घटती है।
3. समय की बचत – ड्रोन की मदद से कुछ ही समय में पूरे खेत की निगरानी की जा सकती है तथा मशीनों व ऑटोमेटेड सिस्टम से कार्य तेजी से होता है जिससे समय की काफी बचत हो जाती है।
4. फसल की गुणवत्ता में वृद्धि – संतुलित पोषण और समन्वित रोग एवं कीट नियंत्रण से उच्च गुणवत्ता वाली फसलें मिलती है।
5. संसाधनों की बचत – स्मार्ट खेती के सेंसर तकनीकों से पानी, खाद, दवाइयां और ऊर्जा की बहुत बचत हो जाती है क्योंकि फसलों को इनकी उतनी ही मात्रा दी जाती है जितनी जरूरत होती है।
6. बेहतर निर्णय लेने की क्षमता – मोबाइल ऐप और सेंसर से डेटा प्राप्त होने पर किसान यह निर्णय ले पाता है कि कब बुवाई करनी है, फसलों को कब पानी और खाद देना है और कब फसल की कटाई करनी है।
7. पर्यावरण संरक्षण – अत्यधिक और बेवजह रसायनों और पानी के दुरुपयोग को रोक कर मिट्टी और पानी का प्रदूषण कम किया जा सकता है।
8. किसानों की आय में वृद्धि – स्मार्ट खेती से कम लागत में ज्यादा उत्पादन, उच्च गुणवत्ता वाली फसलें मिलती है जिससे किसान कि आय बढ़ती है।
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स्मार्ट खेती कैसे करें?
नीचे स्मार्ट खेती को शुरू करने की प्रक्रिया दिया गया है, जिससे किसान धीरे-धीरे स्मार्ट खेती अपनाकर उत्पादन बढ़ा सकते हैं तथा लागत घटा सकते हैं –
जमीन/मिट्टी का आकलन
सबसे पहले अपने खेत की मिट्टी का सही आकलन करें। स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विभाग या कृषि लैब से मिट्टी की जांच करवाएं। इससे आपको मिट्टी की pH, पोषक तत्व और नमी के बारे में पता चलेगा। इसके अलावा आप जीपीएस मैपिंग की मदद से खेत को विभिन्न जोन में बांट सकते हैं जिससे फसल प्रबंधन में आसानी होगी।
फसल का चयन
मिट्टी और अपने क्षेत्र के मौसम के अनुसार फसल का चयन करें।
सही टेक्नोलॉजी का चयन
स्मार्ट खेती के लिए कई टूल्स उपलब्ध है जैसे –
मोबाइल ऐप्स – आज के समय में ऐसे कई मोबाइल ऐप्स हैं जिसकी मदद से आप मौसम का पूर्वानुमान, मिट्टी की नमी, फसल की सेहत और फसलों पर लगी रोग व कीटों के बारे में जान सकते हैं। यह आपको इस रोग व कीट नियंत्रण के साथ-साथ फसल प्रबंधन की सभी जानकारी दे सकते हैं।
सेंसर – इसकी मदद से मिट्टी की नमी का पता लगाकर तय कर सकते हैं कि सिंचाई कब और कितनी करनी है। तापमान मापने वाले सेंसर से तापमान का पता लगा सकते हैं।
ड्रोन – फसलों के निरीक्षण निगरानी दवाइयों के छिड़काव करने के लिए।
IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) सेंसर – IoT सेंसर छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होते हैं जो किसी खास चीज जैसे तापमान, नमी, प्रकाश और मिट्टी की स्थिति को मापते हैं। और उस जानकारी को इंटरनेट के जरिए किसी डिवाइस जैसे स्मार्टफोन या कंप्यूटर तक भेजते हैं।
डेटा का सही उपयोग
स्मार्ट खेती का आधार है डेटा। सेंसर और ड्रोन की मदद से मिलने वाली जानकारी को ऐप या सॉफ्टवेयर में डालें। यह डेटा आपको बताएगा कि खेत में कब, कहां और कितनी सिंचाई करनी है, खाद कब डालनी है, दवाइयां कितनी मात्रा में डालनी है।
स्मार्ट सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर सिस्टम अपनाएँ जो कि सेंसर से जुड़े हो। इससे सिर्फ जरूरत के हिसाब से ही सिंचाई होगी। खाद और उर्वरक प्रबंधन के लिए आप वेरिएबल रेट टेक्नोलॉजी (VRT) का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो खेत की हर हिस्से में सही मात्रा में खाद डालती है।
सतत निगरानी और डेटा संग्रहण
सेंसर और ड्रोन की मदद से फसलों का निरीक्षण करते रहें। जिससे फसल की स्थिति या स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिलती रहे। डेटा को मोबाइल ऐप पर डालें और नोट करें। हर सीजन के बाद अपनी डेटा का विश्लेषण करें कि क्या काम किया क्या नहीं? और अगली बार क्या सुधार करना है। संग्रहित डेटा या रिपोर्ट के अनुसार खेती की रणनीति बनाएं।
स्मार्ट खेती की चुनौतियां
स्मार्ट खेती को अपनाने में कुछ चुनौतियां भी हैं जैसे –
1. शुरुआती लागत – स्मार्ट खेती में उपयोग होने वाले टूल्स और टेक्नोलॉजी के निवेश में शुरुआती लागत अधिक हो सकती है। लेकिन अधिक लागत को कम करने के लिए आप विभिन्न सरकारी योजनाओं पर सरकारी सब्सिडी का लाभ भी उठा सकते हैं तथा शुरुआत में सस्ते या फ्री ऐप्स या सॉफ्टवेयर से शुरू कर सकते हैं।
2. जानकारी का अभाव – बहुत से किसानों को स्मार्ट खेती के बारे में जानकारी ही नहीं है तथा तकनीकी ज्ञान की भी कमी है। लेकिन इसका समाधान भी है आप यूट्यूब ट्यूटोरियल, लोकल वर्कशॉप या कृषि विशेषज्ञों से सलाह या मदद भी ले सकते हैं तथा कृषि विभाग से ट्रेनिंग भी प्राप्त कर सकते हैं।
3. इंटरनेट की समस्या – ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी भी एक समस्या हो सकती है क्योंकि स्मार्ट खेती में कुछ टेक्नोलॉजी का उपयोग करने के लिए इंटरनेट की आवश्यकता जरूरी हो जाती है।
तो दोस्तों, किसान भाइयों हमें उम्मीद है कि आपको हमारा यह स्मार्ट खेती क्या है (Smart Farming in Hindi) वाला लेख पसंद आयी हो। ऐसे ही कृषि से जुड़े सभी प्रकार की जानकारी के लिए Agrifieldea के साथ जुड़े रहे, चाहे आप किसान हो या कृषि के स्ट्रडेंट हैं। धन्यवाद! आपका दिन शुभ हो।