PDF – बीज अंकुरण क्या है? अर्थ, परिभाषा, अंकुरण के प्रकार व बीजांकुरण को प्रभावित करने वाले कारक । Germination of Seed – Meaning Definition, Type and Factors affecting of Seed Germination In Hindi

 

बीज अंकुरण क्या है? अर्थ, परिभाषा, अंकुरण के प्रकार व बीजांकुरण को प्रभावित करने वाले कारक । Germination of Seed - Meaning Definition, Type and Factors affecting of Seed Germination In Hindi

 

अंकुरण यानिकि Seed germination यह शब्द तो आपने कहीं ना कहीं जरूर सुने ही होंगे । नीचे सब कुछ दिया गया है अंकुरण के बारे में कि अंकुरण क्या है (What is Germination)?अंकुरण कितने प्रकार के होते हैं (Types of Germination)? अंकुरण के लिए आदर्श परिस्थितियां क्या क्या है (Ideal Conditions for seed Germination)? व बीज की अंकुरण प्रतिशत कैसे ज्ञात करते हैं (Germination Percentage) ? लेकिन उससे पहले थोड़ा सा बीज (Seed) के बारे में जान लेते हैं कि बीज क्या होता है (What is Seed) ?

 

बीज (Seed) 

जिस पदार्थ से हम नए पौधे तैयार कर पाते हैं उसे बीज (Seed) कहते हैं । लेकिन जो पदार्थ या दाना खाने के लिए उपयोग करते हैं उसे Grain, दाना या अनाज कहा जाता है ।

बीज के भाग :-

Parts of seed- बीज अंकुरण क्या है? अर्थ, परिभाषा, अंकुरण के प्रकार व बीजांकुरण को प्रभावित करने वाले कारक । Germination of Seed - Meaning Definition, Type and Factors affecting of Seed Germination In Hindi

 

 

बीज की परिभाषा :-
Definition of Seeds :-

1) बीज (Seed) वह रोपण सामग्री है जो अनुकूल परिस्थितियों (Favorable consideration) में एक नया पौधा उत्पन्न करने में सक्षम हो ।

2) बीज लैंगिक अथवा वानस्पतिक रूप से प्रवर्धित रोपण सामग्री होता है जो बुवाई और रोपण के लिए उपयोग किया जाता है जिसे सही से बोने पर एक नई पौध प्राप्त होता है ।

 

अंकुरण (Germination) :-

 

सामान्यत: आप लोग देखे होंगे जब एक बीज को नमी युक्त मिट्टी में दबा दिया जाता है तो कुछ दिन बाद उसमें से एक नन्हा छोटा पौधा (Seedling) 🌱 निकलने लगता है । इसी प्रक्रिया को ही अंकुरण कहा जाता है । बीज के अंदर भ्रूण (Embryo) व खाद्य पदार्थ (Food Material) पाया जाता है तथा बीज बाह्य आवरण (Seed Coat) से ढका होता है। अगर बीज का भ्रूण जीवित हो व उसे अनुकूल परिस्थिति मिल जाये व बीज का बीज आवरण टूट जाये तो बीज आसानी से अंकुरित हो सकता है ।

 

अंकुरण की परिभाषा (Definition of Germination) :-

“एक बीज भ्रूण (Seed Embryo) का जो अनुकूल परिस्थितियों में एक सामान्य पौधा देने में समर्थ हो एक नन्हे पौधे का बाहर निकलना एवं विकसित होना ही अंकुरण कहलाता है ।”

 

Definition of Seed Germination :-

Germination is the emergence and development of a seedling from the Seed-Embryo which is able to produce a normal plant under favorable consideration.”

जब बीज का अंकुरण होता है तो भ्रूण दो भागों में विभाजित हो जाता है एक मूलांकुर (Radicle) वह दूसरा प्रांकुर (Plumule) ।

● मूलांकुर (Redicle) :- मूलांकुर अंकुरण के दौरान विकसित होकर जड़ में रूपांतरित हो जाता है ।

● प्रांकुर (Plumule) :- प्रांकुर आगे चल के तने में परिवर्तित हो जाता है ।

 

अंकुरण के प्रकार –
Types of Germination –

 

मुख्य रूप से बीज का अंकुरण दो प्रकार का होता है पहला ऊपरीभूमिक अंकुरण (Epigeal Germination) व दूसरा अधोभूमिक अंकुरण (Hypogeal Germination) , इसके अलावा भी एक और अंकुरण का प्रकार होता है जिसे जरायुज अंकुरण (Viviparous Germination) कहते हैं । 

Epigeal Germination and Hypogeal Germination

 

बीजो में , इन अंकुरण के प्रकार को देख कर ही पता लगाया जा सकता है कि यह अंकुरण का प्रकार ऊपरीभूमिक (Epigeal Germination) है या अधोभूमिक (Hypogeal Germination) है या जरायुज अंकुरण (Viviparous Germination) है ।

 

1. Epigeal Germination (ऊपरीभूमिक अंकुरण) :-

एपीजियल जर्मिनेशन (Epigeal Germination) में Epi का मतलब होता है – Above यानी ऊपर , और Geal का अर्थ होता है – Earth (भूमि) या मिट्टी l

Epigeal Germination –

Epi = Above (ऊपर)

Geal = Earth (भूमि)

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इस प्रकार के अंकुरण में बीज का बीजपत्र (Cotyledon) मिट्टी के ऊपर आ जाता है जैसा कि चित्र में दिख रहा होगा । जैसे-जैसे पौधे की वृद्धि होती है बीजपत्र (Cotyledon) सूख कर नीचे गिर जाते हैं ।

ऊपरीभूमिक अंकुरण (Epigeal Germination) को Hypocotyl Germination भी कहते हैं क्योंकि इसमें बीजपत्र तने के ऊपर होता है । (Stem below the Cotyledon).

ऊपरिभूमिक अंकुरण के उदाहरण (Example of Epigeal Germination) :- 

खरीफ की सभी दलहनी फसलें – मूंग उड़द लोबिया (अपवाद अरहर)

इसके अलावा- सेम, लौकी, इमली आदि उपरीभूमिक अंकुरण के उदाहरण है ।

 

2. Hypogeal Germination (अधोभूमिक अंकुरण) :-

(Hypogeal Germination) में Hypo का मतलब होता है-  Below यानिकि नीचे और Geal का अर्थ होता है – भूमि या मिट्टी ।

Hypogeal Germination – 

Hypo = Below (नीचे)

Geal = Earth (भूमि)

इस प्रकार के अंकुरण में अंकुरण के बाद बीजपत्र (Cotyledon) मिट्टी के नीचे ही रह जाते हैं ।

Hypogeal Germination-बीज अंकुरण क्या है? अर्थ, परिभाषा, अंकुरण के प्रकार व बीजांकुरण को प्रभावित करने वाले कारक । Germination of Seed - Meaning Definition, Type and Factors affecting of Seed Germination In Hindi

 

 

अधोभूमिक (Hypogeal Germination) को Epicotyl Germination भी कहते हैं क्योंकि इस प्रकार के अंकुरण में तना (Stem) बीजपत्र से ऊपर विकसित होता है ।

अधोभूमिक अंकुरण के उदाहरण (Example of Hypogeal Germination) :- 

सभी रबी दलहनी फसले – मटर, चना, मसूर (अपवाद राजमा)

सभी एक बीजपत्री फसलें जैसे धान्य फसलें – धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, गेहूं, जौ इत्यादि ।

 

3.Viviparous Germination (जरायुज अंकुरण) :-

इस प्रकार के अंकुरण को विशेष प्रकार का अंकुरण (Special type of Seed Germination) भी कहते हैं ।

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इस प्रकार के अंकुरण में होता ये है कि बीज का अंकुरण फल के भीतर ही हो जाता है जबकि वह अपने मातृ पौधे से लगा हुआ होता है ।

जरायुज अंकुरण (Viviparous Germination) में बीज का अंकुरण फल के अंदर ही हो जाता है, जबकि वह फल अपने मातृ पौधे (Parent Plants) से जुड़ा हुआ रहता है ।

 
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बीज अंकुरण को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Seed Germination)

 

किसी भी बीज के अंकुरण लिए अनुकूल परिस्थितियों (Favorable Conditions for Seed Germination) का होना बहुत ही आवश्यक है । इन अनुकूल परिस्थितियों में बाह्य अर्थात पर्यावरणीय कारक व आंतरिक कारक दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । चलिये बीज अंकुरण को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों के बारे में नीचे विस्तार से जानते हैं :-

 

1. बाह्य कारक (External Factors) :-   इसके अंतर्गत निम्नलिखित पर्यावरणीय कारक आते हैं :-

                 (A). नमी (Moisture)

                 (B). तापमान (Temperature)

(C). वायु/ऑक्सीजन (Air)

(D). प्रकाश (Light)

(E). माध्यम (Medium)

 

2. आंतरिक कारक (Internal Factors) :- इसके अंतर्गत बीज के निम्नलिखित आंतरिक गुण आते हैं जो अंकुरण को प्रभावित करते हैं :-

(A). बीज परिपक्वता (Seed Maturity)

(B).  बीज जीवंतता (Seed Viability)

(C). बीज सुसुप्तावस्था (Seed Dormancy)

 

1. बाह्य कारक (External Factors) :-

(A).नमी (Moisture) –

बीज की अंकुरण (Germination) के लिए नमी एक प्राथमिक व महत्वपूर्ण कारक है । क्योंकि यह बीज में अंकुरण के लिए आवश्यक रासायनिक क्रियाओं की शुरुआत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । मृदा में कम अथवा अत्यधिक नमी की मात्रा दोनों ही बीज अंकुरण के लिए ठीक नहीं है । क्योंकि नमी की कमी की दशा में अंकुरण के लिए आवश्यक रासायनिक क्रियाएं प्रारंभ नहीं हो सकेगी । इसके विपरीत अगर नमी की मात्रा अधिक हो जाए तो बीजों की सड़ने की संभावना हो सकती है । अतः अंकुरण के लिए नमी (Moisture) की उचित मात्रा होना आवश्यक है ।

 

(B). तापमान (Temperature) – 

विभिन्न फसलों के लिए अंकुरण हेतु तापमान की आवश्यकता अलग-अलग होती है । जैसे ग्रीष्मकालीन व वर्षाकालीन फसलों के अंकुरण के लिए शीतकालीन फसलों की अपेक्षा अधिक तापमान की आवश्यकता होती है । अच्छे अंकुरण के लिए इष्टतम तापमान (Optimum Temperature) का होना आवश्यक है । सामान्यता अंकुरण (Germination) के लिए तापमान की सीमा 15℃ से 40℃ के बीच होता है ।

 

(C). वायु/ऑक्सीजन (Air) – 

बीज अंकुरण के लिए मृदा में ऑक्सीजन का होना आवश्यक है। क्योंकि ऑक्सीजन श्वसन क्रिया के लिए आवश्यक कारक है ।

 

(D). प्रकाश (Light) –  

उचित प्रकाश न मिल पाने से कुछ बीज अंकुरित नही होते इसीलिए बहुत से बीजो में अच्छे अंकुरण के लिये प्रकाश की आवश्यकता होती है । क्योकि कुछ बीजों में प्रकाश फाइटोक्रोम (Phytochrome) को जागृत करने के लिए  आवश्यक होता है ।

 

(E). माध्यम (Medium) – 

किसी बीज को सिर्फ हवा या पानी में तो अंकुरित नही किया जा सकता इसके लिए कोई न कोई माध्यम की आवश्यकता होती ही है । जैसे कई बीजो को मिट्टी के अलावा कोकोपीट, रेत, गाद आदि में भी अंकुरित किया जाता है। इसके अतिरिक्त बीज अंकुरण के लिए जो भी माध्यम हो वह अच्छी वातान (Aeration), जलधारण क्षमता व विषयुक्त पदार्थो से मुक्त होना चाहिए। जिसमें छोटे पौधे (Seedlings) को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हो सके ।

 

 

2. आंतरिक कारक (Internal Factors) :-

(A). बीज परिपक्वता (Seed Maturity) –  

बीज के अच्छे अंकुरण के लिए बीज व उसका भ्रूण (Embryo) अच्छे से परिपक्व होना चाहिए। क्योंकि बिना बीज परिपक्वता के अंकुरण की आशा नही किया जा सकता । इसके लिए आवश्यक है कि जब फल अथवा फसल पूर्ण रूप से पक जाए या कड़े हो जाये तो ही उसे काटना (Harvest) करना चाहिए ।

 

(B).  बीज जीवंतता (Seed Viability) – 

बीज को अंकुरित होने के लिए बीज का जीवित होना आवश्यक है । कभी-कभी बीज को भौतिक क्षति पहुंचने के कारण या बीज के टूटने-फूटने के कारण अथवा गलत तरीके से बीज को भंडारित (Storage) करने के कारण बीज में स्थित भ्रूण (Embryo) मृत हो जाती है । ऐसे बीजों की बुआई करने से बीज को कितनी भी अनुकूल परिस्थितियां मिल जाये तब भी ये बीज अंकुरित नही हो पाते ।

 

(C). बीज सुसुप्तावस्था (Seed Dormancy) – 

बीज की अंकुरण के लिए बीज सुषुप्त (Dormant) नही होना चाहिए । ऐसे बीजों की बुआई कर देने से ये बीज अंकुरित नही होते है ।  ” बीज की सुशुप्तावस्था (Seed Dormancy) बीजों की वह अवस्था होती है जब बीज को अंकुरण के लिए सभी अनुकूल परिस्थितियां उपलब्ध हो फिर भी बीज अंकुरित नही हो पाते ।” बीजो में सुशुप्तावस्था बीजों के कड़े आवरण के कारण भी हो सकता है या तो भ्रूण के अपरिपक्वता के कारण होता है या बीज में कुछ वृद्धि निरोधको (Growth inhibitors) की उपस्थिति के कारण हो सकता है ।

 

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