Tillage | भू-परिष्करण क्या है? l Meaning, Definition, Types and Objectives of Tillage in Hindi

Introduction :-

 फसल उत्पादन में अच्छी पैदावार के लिए खेत की तैयारी करना बहुत ही आवश्यक है । वह ज्यादा समय लेने वाला कार्य है, यह पूरे फसल उत्पादन का लगभग 30% तक हो सकता है ।

खेत की तैयारी से ही संबंधित है आज का हमारा यह टॉपिक जिसका नाम है भू परिष्करण या टिलेज (Tillage)

Tillage - जानिए खेत की तैयारी में भू-परिष्करण क्या है ? l Meaning, Definition, Types and Objectives of Tillage in Hindi

 

एग्रीकल्चर में यह एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जो कि सभी किसान भाइयों व कृषि के सभी छात्र – छात्राओं दोनों को इसके बारे में पता होना चाहिए। क्योंकि कभी-कभी परीक्षाओं में यहां से सीधे ही प्रश्न पूछ दिए जाते हैं ।

जहां कृषि करने में या फसल उगाने में भूमि की तैयारी की बात आती है वहां भू परिष्करण (Tillage) का नाम अवश्य ही आता है क्योंकि इसके बिना जमीन में बीज को उगा ही नहीं सकते ।

Meaning of Tillage :- 

Tillage क्या है ? 

‘Tillage’ दो Anglo Saxon शब्द से लिया गया है जो कि है – Tilian और Teolian .

Tilian का अर्थ :- हल (Plough) ।

Teolian का अर्थ :- बुआई के लिए भूमि की तैयारी ।

[The word Tillage is derived from Anglo Saxon words – Tilian and Teolian.

Tilian = to plough

Teolian = to prepare soil for showing. ]

 

Father of TillageJethro tull (जेथ्रो टूल) जो कि हॉर्स होइंग हस्बेंडरी (Horse Hoeing Husbandry) के लेखक हैं।

जेथ्रो टुल (Jethro tull) को भू-परिष्करण का जनक माना जाता है।

 

भू-परिष्करण की परिभाषा (Definition of Tillage) 

1) फसल उत्पादन के लिए जब मिट्टी की दशा में भौतिक या यांत्रिक परिवर्तन किया जाता है जो की फसलों की बढ़वार में आवश्यक व उचित परिस्थिति प्रदान करती है इन सब क्रियाओं को ही भू परिष्करण या टीलेज कहते हैं ।

2) फसल उत्पादन में किए जाने वाले फसलों की बुवाई से पहले एवं बुवाई के बाद भूमि में जो भी कृषि क्रियाएं की जाती है उसे कर्षण या भू परिष्करण कहते हैं ।

 

भू परिष्करण के प्रकार (Types of Tillage)

टीलेज या भू परिष्करण मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है या इसे दो प्रकार से वर्गीकृत किया गया है –

1. प्राथमिक भू परिष्करण (Primary Tillage)

2. द्वितीयक भू परिष्करण (Secondry Tillage)

इसके अलावा भी Tillage के अन्य प्रकार होते हैं लेकिन इसके बारे में आगे जानेंगे ।

 

1. प्राथमिक भू परिष्करण (Primary Tillage) 

इसमें उन प्रारंभिक कृषि क्रियाओं को शामिल किया गया है जिससे भूमि की गहरी जुताई, मिट्टी उलटना फसल अवशेष को मिट्टी में दबाना आदि क्रियाएं सम्मिलित है ।

प्राथमिक भू परिष्करण में उपयोग होने वाले यन्त्र या हल :-  मिट्टी पलट हल, तवेदार हल (Disc Plough), रोटावेटर, चीसल हल (Chisel plough), सब-स्वायलर (Sub- Soiled) इत्यादि ।

 

2. द्वितीयक भू-परिष्करण (Secondary Tillage) 

प्राथमिक भू परिष्करण के बाद यानी कि मिट्टी की गहरी जुताई या मिट्टी पलटने के बाद उस मिट्टी को फसलों के लिए उपयुक्त दशा प्रदान करने के लिए जो भी कृषि क्रियाएं की किया जाता है, वह द्वितीयक भू परिष्करण (Secondary Tillage) कहलाता है । इसमें मिट्टी को भुरभुरी बनाना, समतल करना आदि क्रियाएं सम्मिलित है ।

इसमें की गई क्रियाएं मृदा को अंतिम व उपयुक्त दशा प्रदान करते हैं । जो वातान (Aeration) नमी संरक्षण व खरपतवार नियंत्रण में सहायक होता है ।

द्वितीयक भू परिष्करण में उपयोग होने वाले हल :- कल्टीवेटर, हैरो, जूनियर हो, डिस्क हैरो आदि ।

Note :- प्राथमिक व द्वितीयक दोनों भू परिष्करण में उपयोग होने वाले हल – देशी हल व कल्टीवेटर आदि है ।

 

भू-परिष्करण के उद्देश्य (Objectives of Tillage)

प्राथमिक भू परिष्करण व द्वितीयक भू परिष्करण के उद्देश्य दोनों में बहुत अंतर होता है जिसे हम अलग-अलग देखेंगे :-

(A) प्राथमिक भू परिष्करण के उद्देश्य :- 

1) ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई व मिट्टी पलट कर खरपतवारों व हानिकारक कीटों को नष्ट करना ।

2) द्वितीयक भू परिष्करण के लिए आवश्यक व उचित परिस्थिति प्रदान करना ।

3) खेत में डाले गए खादों को खेत में मिलाना ।

4) फसल अवशेष व हरी खाद को मिट्टी में दबाना ।

5) मृदा क्षरण को नियंत्रित करना व मृदा की जल धारण क्षमता में वृद्धि करना ।

 

(B) द्वितीयक भू परिष्करण के उद्देश्य :- 

1) खेतों का ढेला तोड़ना व मिट्टी को भुरभुरी करना ।

2) भूमि को समतल करना ।

3) फसल उगाने के लिए फसलों के अनुसार बीज डालने के लिए बीज शैय्या तैयार करना ।

4) नमी संरक्षण व वातान बढ़ाने के लिए ।

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न्यूनतम भू-परिष्करण (Minimum Tillage)

जैसा कि न्यूनतम भू – परिष्करण (Minimum Tillage) के नाम से ही पता लगता है कि इसमें फसल उगाने या बीज शैय्या तैयार करने में बहुत ही कम या न्यूनतम भू परिष्करण की क्रियाएं किया जाता है । यह उन क्षेत्रों में किया जाता है जहां पर फसल उगाने के लिए अच्छे से भूमि की तैयारी करना कठिन होता है ।

इस भू परिष्करण में भूमि की तैयारी के लिए लागत व समय की बचत होती है, परंतु फसल उत्पादन में गिरावट आ सकती है ।

 

न्यूनतम भू-परिष्करण के प्रकार (Types of Minimum Tillage)

1) Plough-Plant System :- इसमें भू परिष्करण का कार्य व  बीज की बुवाई हल के प्लांटर से साथ-साथ किया जाता है ।

2) Till Plant System :- इसमें भी भू परिष्करण एवं बुवाई की क्रियाएं एक साथ की जाती है । इसमें पुराने मेड़ पट्टियों की सतह पर जहां पुराने फसल के अवशेष हो वहां पर 5 – 8 सेंटीमीटर गहरी जुताई की जाती है, इससे फसल अवशेष मेड़ पट्टियों के कतारों के बीच के स्थान में जाकर अलग हो जाते हैं ।

3) Zero Tillage :- शून्य भू परिष्करण में बिना कोई कर्षण क्रियाएं किए बिना खेत में बीज डाल दिया जाता है । इसमे बुवाई, कटाई व दवाई डालने के अलावा अन्य कोई भी क्रियाएं नहीं किया जाता है । इसमें बुवाई के पूर्व अवर्णनात्मक शाकनाशी (Non Selective Herbicide) का प्रयोग किया जाता है ।

तिल्थ (Tilth)क्या है ?

भूमि की तैयारी या भू परिष्करण के बाद अंततः फसल बीज डालने के लिए तैयार भूमि/मृदा की अवस्था को ही टिल्थ (Tilth) कहते हैं । अथवा अंतिम भू परिष्करण के बाद फसल उगाने के लिए जो भूमि की उपयुक्त भौतिक दशा होती है उसे ही तिल्थ कहते हैं ।

● टिल्थ फसल के अनुसार होना चाहिए ।

● तिल्थ अच्छी जल धारण क्षमता वाली होनी चाहिए ।

● अच्छे टिल्थ हमेशा पर्याप्त वातान वाला होता है ।

● तिल्थ खरपतवार रहित होना चाहिए ।

● तिल्थ कोमल, समतल व भुरभुरी होनी चाहिए ।

 

निष्कर्ष (Conclusion)

खेती करने के लिए भूमि की तैयारी करना अति आवश्यक है । भूमि की तैयारी से लेकर फसल कटाई तक जो खेत में कृषि क्रियाएं किया जाता है, उसे ही टिलेज या भू परिष्करण कहते हैं ।

और भू परिष्करण यह टीलेज से निर्मित फसल उगाने के लिए उपयुक्त मृदा के भौतिक दशा को ही तिल्थ (Tilth) कहते हैं ।

टिलेज मुख्यतः दो प्रकार का होता है – 

1. प्राथमिक भू- परिष्करण 

2. द्वितीयक भू परिष्करण 

इसके अलावा भी टीलेज के और एक प्रकार पड़े हैं न्यूनतम टीलेज और इसमें हमने देखा कि मिनिमम टीलेज के भी तीन प्रकार होते हैं –

1. Plough-Plant System

2. Till- Plant System

3. Zero Tillage. 

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FAQ :- 

1. Tillage क्या है ? 
Ans :- फसल उत्पादन के लिए मिट्टी की दशा में भौतिक या यांत्रिक परिवर्तन करना जो फसल उगाने के लिए उपयुक्त हो भू-परिष्करण या टिलेज कहलाता है ।

2. टीलेज कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर
:- टिलेज मुख्यतः दो प्रकार का होता है :-
प्राइमरी टीलेज व सेकेंडरी टीलेज (इसके अन्य प्रकार के लिए कृपया पूरी पोस्ट पढ़ें )

3. Objectives of Tillage ?
Ans.:-
Please Read the Post Carefully 👆

4. Tilth क्या है ?
उत्तर
:- भू परिष्करण के बाद तैयार भूमि की वह भौतिक कंडीशन जो फसल उगाने के लिए उपयुक्त हो उसे ही तिल्थ (Tilth) कहते हैं ।

 

Reference :- यह जानकारी के. एल. नंदेहा जी की पुस्तक प्रारंभिक शस्य विज्ञान व इंटरनेट व विभिन्न स्रोतों से प्रकाशित सामग्रियो का विश्लेषण कर तैयार किया गया है तथा इसमें हमारी टीम के द्वारा आवश्यकतानुसार सुधार व परिवर्तन भी किया गया है ।

 

अपील :-

हमे आशा है कि यह पोस्ट आपको बहुत ही पसन्द आयी हो । अगर ऐसा है तो प्लीज इसे अपने किसान भाइयों व कृषि के छात्र-छात्राओं के साथ जरूर साझा/शेयर करें ।। इससे हमें बहुत मोटिवेशन मिलती है ।

धन्यवाद आपका 🙏!

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