Fasal ko pale se kaise bachaye: शीतलहर और पाले से फसलों को बचाने के वैज्ञानिक उपाय

Plant Protection Techniques: सर्दियों के मौसम में शीतलहर और पाला किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन जाती हैं। (Fasal ko pale se kaise bachaye) आप तो रात में चादर ओड़कर सो जाते हैं लेकिन आपकी फसलों का क्या? शीतलहर और पाले जैसी ये प्राकृतिक घटनाएँ फसलों की वृद्धि, गुणवत्ता और उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। लेकिन आपको चिंता करने की कोई जरूरत नही है क्योंकि इस इस लेख में हम शीतलहर और पाले से फसलों को बचाने के सरल और वैज्ञानिक उपाय बताएंगे, जिनसे किसान अपनी फसलों को शीतलहर और पाले के असर से बचा सकते हैं।

Fasal ko pale se kaise bachaye

बहुत सारी रबी फसलें अभी हमारे खेतों में लगी हुई है जैसे गेहूँ, सरसों, अरहर, चना, जौ, मटर, मसूर इत्यादि जो कि अभी वानस्पतिक अवस्था में है। यह समय Critical होता है। सिर्फ ये फसले ही नहीं बल्कि दूसरे साग – सब्जियों, छोटे पौधों को भी शीतलहर और पाले से बहुत ज्यादा हानि हो सकती है। इसीलिए इनकी शीतलहर और पाले से सुरक्षा करना आवश्यक है ताकि उत्पादन पर बुरा प्रभाव न पड़े।

 

शीतलहर और पाला क्या है? (Fasal ko pale se kaise bachaye)

शीतलहर (Cold Wave)

शीतलहर एक असामान्य ठंड के मौसम की अवधि है, जिसमें तापमान सामान्य से बहुत नीचे चला जाता है। इसका असर कुछ दिनों या हफ्तों तक बना रहता है। यह फसलों की वृद्धि को रोक देती है और पौधों को नुकसान पहुँचाती है।

 

पाला (Frost)

जाड़े के दिनों में जब रात में वायुमण्डलीय तापमान 0 डिग्री सेल्सियस (0°C) या इससे नीचे चला जाता है, तो हवा में मौजूद नमी अथवा जलवाष्प जमकर बर्फ की परत बना लेती है, इसे पाला कहते हैं। यह फसलों की पत्तियों, तनों और फलों को बुरी तरह प्रभावित करता है।

 

पौधों पर पाले का प्रभाव (Effect of Frost on plants)

पाला (Frost) पड़ते ही पौधों की कोशिकाओं का द्रव्य जमने लगता है, जिससे कोशिका भित्ति (Call Wall) फट जाती है तथा पौधा मर जाता है। ऊँची – नीची तल वाली भूमियों में ऊँची भूमि की अपेक्षा निचली तल वाली भूमियों में पाले से ज्यादा नुकसान होता है। अरहर, चना, मटर, आलू, सरसों आदि फसलों में पाले से अधिक नुकसान होता है।

 

शीतलहर और पाले से फसलों को होने वाले नुकसान

1. पौधों की कोशिकाओं का जमना: पाला पड़ने पर पौधों की कोशिकाओं का पानी जम जाती हैं, जिससे पौधे मर सकते हैं।

2. पत्तियों और फलों का झुलसना: शीतलहर के कारण पत्तियाँ और फल सिकुड़ जाते हैं या झुलस जाते हैं। सब्जियाँ, फल और फूल ठंड के कारण सिकुड़ जाते हैं या उनका रंग फीका पड़ जाता है।

3. उपज में कमी: उपरोक्त सभी कारणों से फसलों की वृद्धि धीमी हो जाती है, जिससे उत्पादन घटता है तथा किसान को हानि का सामना करना पड़ सकता है।

 

शीतलहर और पाले से फसलों को बचाने के वैज्ञानिक उपाय (Fasal ko pale se kaise bachaye)

 

Irrigation during Frost (पाले के समय सिंचाई)

पाले की आशंका वाले स्थानों पर शाम के समय या रात में खेतों में हल्की सिंचाई कर देना चाहिए, इससे मिट्टी का तापमान बढ़ता है।

यदि रात में स्प्रिंकलर के जरिए फसलों पर सिंचाई कर रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखे कि सुबह धूप निकलते तक सिंचाई करे, नही तो ठंड में स्प्रिंकलर की बूंदों से पौधों को उल्टा नुकसान हो सकता है।

 

धुआँ करना (Smoke)

पौधों या खेत के आस पास सूखी घास, गोबर के उपले या पराली जलाकर वायुमण्डलीय तापमान बढ़ाने के लिए धुँआ करना चाहिए। इससे हवा में गर्मी बनी रहती है और पाले को फसलो पर जमने से रोका जा सकता है।

 

Use of Sulphuric Acid in Frost Control (पाले में गंधक के तेजाब का प्रयोग)

जहाँ पर पाला पड़ने की आशंका हो वहाँ की फसलों पर घुलनशील सल्फर 0.2% अथवा फसल में 0.1% गंधक के तेजाब (Sulphuric Acid) 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर में छिड़काव करें।

इस घोल को तैयार करने के लिए 1 लीटर सल्फ्यूरिक एसिड को 1000 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से शाम के समय फसलों पर छिड़काव करें।

रसायन/विधि

मात्रा (Dosage)

प्रयोग का समय

गंदक का तेजाब (H₂SO₄)

1 लीटर / 1000 लीटर पानी

फूल आने से पहले (शाम को)

घुलनशील सल्फर (Wettable Sulphur)

2 ग्राम / लीटर पानी

पाले की आशंका होने पर

 

सावधानी: गंधक का तेजाब (Sulphuric Acid) प्रयोग करते समय हमेशा प्लास्टिक के बर्तनों का ही प्रयोग करें,  और कोई भी रसायनों का प्रयोग करते समय अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारी से जरूर परामर्श लें।

पौधों को ढंकना (Mulching)

पौध अवस्था वाली फसलों को पुआल, भूसा या सूखी घास, हल्की प्लास्टिक शीट आदि से ढंककर रखना चाहिए। ध्यान रखें कि जिस भी सामग्री से फसलों को ढंके वह ज्यादा वजन न हो नही तो फसल खराब भी हो सकती है।

 

ठंड सहनशील किस्मों का चयन

फसलों की पाला अवरोधी या ठंड सहनशील किस्में लगाना चाहिए।

 

वायु अवरोधक पेड़ लगाना

खेत की मेंड़ों पर उत्तर- पश्चिम दिशा में बड़े पेड़ लगाना शीतलहर और पाले से बचाव का एक दीर्घकालीन उपाय हो सकता है।

 

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निष्कर्ष

तो दोस्तों आपने जाना कि शीतलहर और पाला क्या है और यह कैसे फसलों पर प्रभाव डालता है, शीतलहर और पाले से फसलों की सुरक्षा कैसे करनी है जिससे फसलों को शीतलहर और पाले से होने वाले नुकसान से बचाया सकता है। हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए काफी मददगार साबित होगी। धन्यवाद!

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