आज हम जानने जा रहें है एग्रीकल्चर के एक महत्वपूर्ण टॉपिक के बारे में । जी हाँ हम बात करने वाले हैं MSP (Minimum Support Price in Hindi) , न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में जिसे आप लोग कभी न कभी अखबार में या TV न्यूज में या मैगजीन में पढ़े या देखे होंगे ।
MSP यानिकी Minimum Support Price , हिंदी में कहें तो न्यूनतम समर्थन मूल्य । सबकुछ बात करेंगे इसके बारे में और साथ ही जानेंगे 2020 – 21 में रबी और खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में भी।
MSP क्या है ? (What is MSP (Minimum Support Price in Hindi)
MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) :-
चलिए सबसे पहले इसे समझने की कोशिश करते हैं इसके बाद इसकी परिभाषा देखेंगे ।
जब किसान खरीफ या रबी कोई भी फसल उगाती है। जब फसल का उत्पादन होता है तो उसके पास एक समस्या आती है कि इस अनाज को कहां बेचे ? इसका उसे उचित मूल्य मूल्य मिल पाएगा भी कि नहीं?
इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार खरीफ या रबी सीजन से पहले यानिकी फसल उगाने से ठीक पहले कुछ निर्धारित फसलों का मूल्य निर्धारित कर देती है कि इस फसल को हम इतने रुपए में खरीदेंगे ।
अगर कभी किसी फसल का उत्पादन बहुत अधिक या बंपर हो जाती है तो सामान्यत: देखा जाता है कि उस फसल का मूल्य कम हो जाता है । क्योंकि आप सभी जानते ही हैं कि जब किसी वस्तु की Supply आपूर्ति अधिक होती है तो उसका मूल्य (Price) गिरने लगती है । किसानों को ऐसी ही नुकसान से बचाने के लिए ही न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाता है । न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण खरीफ और रबी सीजन से पहले सरकार कर देती है ताकि किसानों को नुकसान ना हो ।
सबसे पहले 1966-67 गेंहू के लिए हरित क्रांति के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किया गया था ।
परिभाषा । Definition of MSP (Minimum Support Price) :-
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह मूल्य है जिसके आधार पर भारतीय सरकार किसानों से फसल खरीदती है चाहे वह फसल किसी भी मूल्य के आधार पर उगाया गया हो ।
MSP (Minimum Support Price) की सिफारिश कौन करता है?
रबी या खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सिफारिश CACP यानी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Cost and Prices) करती है । यह CACP अपनी सिफारिश CCEA (Cabinet Committee on Economic Affairs) को देता है । यह CACP की बात मान भी सकती हैं और नहीं भी ।
CCEA का अध्यक्ष देश का प्रधानमंत्री होता है।
CACP का नाम पहले Agricultural Price Commission (APC) था, जिसकी स्थापना 1 जनवरी 1965 को हुई। जिसे 1985 में बदलकर CACP (Commission for Agricultural Cost and Prices) कर दिया गया ।
CACP के वर्तमान चेयरमैन prof. Vijay Paul Sharma है ।
MSP (Minimum Support Price) तय कैसे होता है ?
कृषि सुधारों के लिए सन 2004 में स्वामीनाथन आयोग बना था । इस आयोग ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने के लिए कई फार्मूले सुझाए थे । डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन समिति ने यह सिफारिश की थी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य , औसत उत्पादन से कम से कम 50% अधिक होना चाहिए ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में NDA सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू किया और 2018 – 19 के बजट में उत्पादन लागत का कम से कम डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) करने की घोषणा की मतलब मान लो कि किसी फसल को उगाने में किसान को ₹100 की लागत आती है तो सरकार उसे ₹150 में खरीदेगी ।
कितनी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय की गई है?
How many crops are there in MSP? :-
न्यूनतम समर्थन मूल्य रबी व खरीफ की कुछ अनाज वाली फसलों के लिए तय किया जाता है । फिलहाल सीएसीपी (Commission for Agricultural Cost and Prices) 23 फसलों के एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की सिफारिश करता है, जिसमें 7 अनाज (धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ और रागी), 5 दालें (चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर), 7 तिलहन (मूंगफली, रेपसीड-सरसों, सोयाबीन, तिल, सूरजमुखी, कुसुम, रामतिल), और 4 वाणिज्यिक फसलें (कोपरा, गन्ना, कपास और कच्चा जूट)
MSP को तय करते समय ध्यान में रखे जाने वाले कारक :-
Determining Factor of MSP –
दोस्तों CACP रबी और खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करते समय बहुत से कारकों को ध्यान में रखती है जैसे –
(1) मांग और आपूर्ति (Demand and supply)
(2) उत्पादन लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक मूल्य तय करना ।
(3) उत्पादन का मूल्य (Cost of Cultivation)
(4) आंतरिक (Input) मूल्यों में होने वाले बदलाव ।
(5) आंतरिक(Input) और बाहरी(Output) मूल्यों के बीच समानता
(6) जीवन यापन की लागत पर प्रभाव
(7) बाजार की कीमतों के रुझान
(8) किसानों द्वारा प्राप्त कीमतों और उनके द्वारा भुगतान की गई कीमतों के बीच समता ।
(9) अंतर्राष्ट्रीय मूल्य स्थिति ।
MSP के लाभ : Advantage of MSP :-
● न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसानों को सबसे बड़ा फायदा यह है कि अगर बाजार में फसल का दाम (Price) गिरता है तब भी किसानों को तसल्ली रहती है कि सरकार को वह फसल बेचने पर तय की गई सही कीमत जरूर मिलेगी ।
● किसानो को अपनी फसल की तय की गई कीमत के बारे में पता चल जाता है ।
● न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) किसानों की बाजार जोखिमों (Market Risk) के प्रति सुरक्षा प्रदान करती है।
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