Hello! स्वागत है आपका हमारे Agrifieldea में , आज आप पढ़ने वाले हैं मृदा विज्ञान (Soil Science) और मृदा के बारे मे, जिसमे आप पढेंगे कि मृदा विज्ञान (Soil Science) क्या है?, मृदा (Soil) क्या है? मृदा की विशेषताएं, मृदा निर्माण, मृदा विज्ञान कि शाखाएँ, भारत मे उपस्थित मृदा से सम्बंधित प्रमुख अनुसंधान संस्थान इत्यादि…
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मृदा विज्ञान क्या है? (What is Soil Science?)
विज्ञान की वह शाखा जिसमें मृदा (soil) के बारे में अध्ययन किया जाता है मृदा विज्ञान (Soil Science) कहलाता है।
इसके अंतर्गत मृदा निर्माण, मृदा का वर्गीकरण, मृदा की प्रकृति , मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों का अध्ययन तथा मृदा उर्वरता का अध्ययन आदि शामिल है।
मृदा विज्ञान का अध्ययन (Study of Soil Science)
मृदा विज्ञान का अध्ययन दो तरीकों से किया जाता है-
1. Edaphology
2. Pedology
[ 1 ] Edaphology –
मृदा के विभिन्न गुणों का अध्ययन पौधे की वृद्धि , पोषण एवं उपज के सम्बन्ध में करना इडेफोलॉजी (Edaphology) कहलाता है ।
एक किसान और कृषि छात्र जब मृदा के बारे में अध्ययन करता है, तो वह एडफोलॉजी के रूप में करता है।
यह ग्रीक भाषा का एक शब्द है जो दो शब्दों से मिलकर बना है, Edaphos और logos.
● Edaphos – soil or ground as foot hold to
plants
● Logos – Knowledge/ Discourse
[ 2 ] Pedology –
मृदा के उद्भव (जन्म), वर्गीकरण तथा वर्णन के अध्ययन को पेडोलॉजी (Pedology) कहते हैं।
जब एक इंजीनियर मृदा का अध्ययन करता है तो वह पेडोलॉजी के रूप में करता है।
पेडोलाॅजी के अनुसार मृदा एक Natural body/प्राकृतिक पिण्ड है।
यह भी ग्रीक भाषा का एक शब्द है, जो pedon और logos से मिलकर बना है।
● Pedon – Soil
● Logos – Study
मृदा विज्ञान कि शाखाएं (Branches of soil science)
1. मृदा भौतिकी (soil physics) –
इसके अंतर्गत मृदा के भौतिक अथवा यांत्रिक गुणों का अध्ययन किया जाता है।
2. मृदा रसायन (soil chemistry) –
इस शाखा में मृदा के रासायनिक गुणों का अध्ययन किया जाता है तथा मृदा में होने वाले रासायनिक क्रियाओं का वर्णन किया जाता है।
3. मृदा जीव विज्ञान (soil biology) –
इस शाखा के अन्तर्गत मृदा में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवों के बारे में अध्ययन किया जाता है तथा मृदा में होने वाले जैविक रूपांतरण (biological transformation) का वर्णन किया जाता है।
4. मृदा उर्वरता एवं पादप पोषण ( soil fertility and plant nutrition) –
यह शाखा मिट्टी की उर्वरता के बारे में बताती है तथा पौधों को पोषक तत्व प्रदान करने की क्षमता के बारे में बताती है।
5. मृदा प्रौद्योगिकी (soil technology) –
यह समस्याग्रस्त मृदाओं (Problematic soils) जैसे- Saline, Alkaline, Acidic, waterlogged तथा eroded soils के प्रबंधन के बारे में बताती है।
6. मृदा उत्पत्ति , मदृा सर्वेक्षण एवं मृदा वर्गीकरण (Soil genesis, soil survey and soil classification) –
मृदा विज्ञान के इस शाखा में मृदा की उत्पत्ति के बारे में, morphological discription के बारे में, मदृा वर्गीकरण, soil taxonomy तथा नक्शा तैयार करने के बारे में अध्ययन किया जाता है।
भारत मे उपस्थित प्रमुख अनुसंधान केन्द्र :-
1) Indian institute of soil science (ISS)– Bhopal, Madhya Pradesh, India
2) Central soil salinity Research Institute (CSSRI) – karnal, Hariyana, India
3) Central soil and water conservation Research and training institute (CSWCRTI) -Dehradun, Uttarakhand
4) National Bureau of soil survey & land use planning (NBSSLUP) – NAGPUR
मृदा क्या है? ( What is soil )
स्टेटमेंट 01
मृदा एक परिवर्तनशील प्राकृतिक पिंड है, जो कार्बनिक पदार्थ खनिज पदार्थ एवं सूक्ष्म जीवों के सगंठन से बनी है एवं पौधों को उगने के लिए आधार प्रदान करती है।
स्टेटमेंट 02 –
The soil is a dynamic natural body composed of minerals and organic materials as well as living forms in which plants grow.
Meaning of soil –
वसे तो Soil एक English word है लेकिन इसकी उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द “Solum” से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ फर्श (floor) होता है।
संक्षिप्त विवरण –
सामान्यतः पृथ्वी की ऊपरी परत को मृदा/मिट्टी कहते है। मृदा को एक Three dimensional body कहा जाता है क्योंकि मृदा के प्रत्येक कण (particle) की लंबाई ,चौड़ाई एवं गहराई होती है।
मृदा के प्रत्येक particle में भार होता है और प्रत्येक Particle स्थान घेरती है। मृदा में तीन phase या प्रावस्थाएं- ठोस, द्रव, गैस पाई जाती है।
मृदा निर्माण कैसे होता है ?
भूपर्पटी या जिसे Earth’s crust भी कहते हैं। वहां की ठोस चट्टानों के टूटने पर चट्टानों की छोटी-बड़ी टुकड़ों वाली मलबा तैयार हो जाती है जो ढीला और असगंठित एवं अकार्बनिक होती है जिसे Parent material or Rigolith कहते हैं।
ये parent material अपक्षय (weathring) के कारण धीरे-धीरे और लगातार छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटती रहती है तथा अपक्षय के बाद फिर soil forming factors and प्रोसेस के द्वारा मृदा प्रोफाइल का विकास होता है।
प्रोफाइल के विकास के बाद फिर जो मृदा बनती है उसे ही मृदा/ वास्तविक मृदा (true soil) कहते हैं।
संक्षिप्त में कहा जाए तो एक या एक से अधिक खनिज पदार्थ मिलकर चट्टान का निर्माण करते हैं और जब यह चट्टान वातावरणीय कारको के कारण अत्यतं छोटे छोटे टुकड़ों में टूटती है तो soil का निर्माण करती है।
सभी प्रकार के मिट्टियों की उत्पत्ति चट्टानों के टूटने से हुई है।
मृदा की विशेषतायें (Characteristics of soil)
● यह पौधों की ग्रोथ एंड डवेलपमेंट के लिए एक प्राकृतिक माध्यम का कार्य करता है।
● पौधों को उगने के लिए आधार प्रदान करता है।
● मृदा में different – different प्रकार के horizones पाए जाते हैं।
● मृदा में माॅरफ़ोलॉजिकल तथा रासायनिक एवं जैविक अतंर पाए जाते हैं। जो परैेंट मटेरियल में विभिन्नता और क्लाइमेट्रिक फैक्टर्स के कारण बनती है।
● वाटर शेड, प्राकृतिक संसाधन, और पर्यावरणीय विज्ञान में प्रगति से पता चला है कि मिट्टी मलू पारिस्थितिक तंत्र की नींव है।
● मिट्टी हमारे पानी को फ़िल्टर करती है, हमारे जगंलों और फसलों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है, और पृथ्वी के तापमान के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैसों को नियंत्रित करने में मदद करती है।
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FAQ
Ques.- किस तरह की मिट्टी सबसे अधिक उर्वर होती है?
Ans.- नदियों एवं समुद्र द्वारा जमा की गई मिट्टी सबसे अधिक उर्वर होती है।
Ques.- मृदा विज्ञान के पितामह (Father) कौन हैं ?
Ans.- Vaisaly Dockuchaev को मृदा विज्ञान का पितामह (फादर) कहा जाता है।
Reference –
इस ब्लॉग पोस्ट में दी गई जानकारी “soil science by Vinay Singh” और “A competitive book of agriculture” तथा अन्य स्रोतों में प्रकाशित सामग्री का विश्लेषण करके तैयार किया गया है।
आवश्यकता अनुसार कुछ स्थानों पर AGRIFIELDEA के टीम के इनपटु भी शामिल किए गए हैं। हमें आशा है कि यह जानकारी आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगी धन्यवाद।।
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Introductory forestry
Soil sence
मृदा परीक्षण
Leb me मृदा का परीक्षण किया जा सकता हे
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