Seed Dormancy in Hindi | बीज सुसुप्तावस्था, सुसुप्तावस्था के प्रकार, बीज सुसुप्तावस्था के कारण व बीज सुसुप्तावस्था को तोड़ने के उपाय

Seed Dormancy in Hindi

 

बीज सुसुप्तावस्था (Seed Dormancy)

                    कभी-कभी आपने देखा होगा कि जब हम कोई बीज उगाने के लिए डालते हैं , लेकिन वह बीज अंकुरित ही नही होती या अंकुरित होती भी है तो बहुत दिनों बाद व पौधे एकदम छोटे व कमजोर होते हैं तथा अंकुरित होने के एक – दो दिन बाद ही नष्ट हो जाता है । 

कहने का आशय यह है कि जब किसी बीज को (अंकुरण के लिए उपयुक्त वातावरण या अनुकूल परिस्थितियों ) में लगाने के बाद भी अंकुरित नही होता । बीज अंकुरण के लिए उपयुक्त वातावरण या अनुकूल परिस्थितियों से आशय है कि बीज अंकुरण के लिए मिट्टी, हवा, पानी, प्रकाश, पोषक तत्व आदि की उपलब्धता ।

तो यही तो है बीज सुसुप्तावस्था या Seed Dormancy , चलिए Seed Dormancy (बीज सुसुप्तावस्था) को एक परिभाषा के माध्यम से समझने का प्रयत्न करते हैं –

 

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बीज सुसुप्तावस्था की परिभाषा (Definitions of Seed Dormancy)

●  ” एक बीज((Seed) के अंकुरण (Germination) के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ होने के बावजूद भी कभी – कभी बीजो का अंकुरण नही हो पाता इसी को बीज सुसुप्तावस्था (Seed Dormancy) कहते हैं ।”

●  Despite having favorable conditions for the germination of a seed, sometimes the seeds do not germinate, this is called Seed Dormancy.

●  ” बीजों की सुसुप्तावस्था (Seed Dormancy) वह अवस्था होती है जिसमे बीज (Seeds) विश्राम अवस्था में होती है । इस अवस्था में बीज अंकुरण के लिए आंतरिक कारकों के कारण बीज का अंकुरण रुक जाता है ।”

 

बीज सुसुप्तावस्था के प्रकार (Types of Seed Dormancy)

 

बीजों की सुसुप्तावस्था तीन प्रकार की होती है

(1) प्राथमिक बीज सुसुप्तावस्था  (Primary Seed Dormancy)

(2) द्वितीयक बीज सुसुप्तावस्था (Secondary Seed Dormancy) 

(3) विशेष प्रकार की सुसुप्तावस्था (Special Type of Seed Dormancy) 

 

1. Primary Seed Dormancy :- 

प्राथमिक सुसुप्तावस्था (Primary Dormancy) में बीज पकने के तुरंत बाद अनुकूल परिस्थितियाँ (Favorable Condition) मिलने के बावजूद भी अंकुरित (Germinate) नही हो पाते है ।

उदाहरण के तौर पर आलू (Potato) पकने के तुरन्त बाद भी अंकुरित नही होता।

 

2. Secondary Seed Dormancy :- 

कुछ बीज पकने के बाद अनुकूल वातावरण या अनुकूल परिस्थितियों के मिलने के बाद अंकुरित होंने में सक्षम होते हैं । लेकिन इन्ही बीजों को अगर कुछ दिनों के लिए भंडारित (Storage) करके रखा जाए तो इनमे सुसुप्तावस्था आ जाती है , यानिकी ये बीज बाद में अनुकूल परिस्थितियों के मिलने के बावजूद भी ये अंकुरित होने में असमर्थ होते हैं । इस प्रकार की सुसुप्तावस्था को द्वितीयक सुसुप्तावस्था (Secondary Dormancy) कहते हैं । 

 

3. Special Type of Dormancy :- 

इस प्रकार के सुसुप्तावस्था में बीज अंकुरित तो होते हैं लेकिन पौधे छोटे व कमजोर हो जाते हैं । इसका कारण जड़ (Root) व कोलियोप्टाइल (Coleoptile) का दुर्बल या अविकसित होना है । इस प्रकार की सुसुप्तावस्था को विशेष प्रकार की सुसुप्तावस्था (Special Type of Seed Dormancy) कहते हैं ।

 

सुसुप्तावस्था के कारण (Causes of Seed Dormancy)

 

(1) बीजावरण का सख्त होना (Hard Seed Coat) – 

                                                                         कुछ  बीजों के बीज आवरण (Seed Coat) अधिक ठोस या मजबूत होते हैं ऐसे बीजों को अनुकूल परिस्थितियाँ मिलने के बावजूद भी अंकुरित नहीं हो पाते । अतः ऐसे बीजों की सुषुप्त अवस्था (Dormancy) को तोड़ने के लिए इसके बीज आवरण को तोड़ना आवश्यक होता है ।

उदाहरण –  चौलाई, धनिया आदि ।

 

(2) बीज भ्रूण का अपरिपक्व होना (Rudimentary Embryo of Seeds) – 

                                  कई बार बीज देखने में तो परिपक्व (Mature) लगते हैं परंतु भ्रूण (Embryo) पूर्ण रूप से विकसित नही होने के कारण अनुकूल वातावरण मिलने के बाद भी अंकुरित (Germinate) नहीं हो पाते ।

 

(3) बीजावरण का पानी या ऑक्सीजन के लिए अप्रवेशीय होना (Seed Coat being impermeable for water or oxygen) –

                      कुछ बीजों में उनके बीजावरण (Seed Coat) के कारण पानी या ऑक्सीजन प्रवेश करने में असमर्थ होते हैं । जैसे कपास के बीज का बीजावरण पानी के लिए अप्रवेशीय होता है ।

 

 

बीजों की सुसुप्तावस्था को तोड़ना (Breaking the Seed Dormancy)

बीजों की सुषुप्त अवस्था (Dormancy) को दो विधियों से तोड़ा जा सकता है एक भौतिक विधि व दूसरा है रसायनों का प्रयोग करके –

 

A. भौतिक विधियां :-

i. बीजों को खुरचना –  इस विधि में बीजों की सुषुप्तावस्था को तोड़ने के लिए बीज आवरण को तोड़ा जाता है या कमजोर करते हैं यह विधि तब अपनाई जाती है जब बीजावरण सख्त (Hard) हो ।

ii. हीट ट्रीटमेंट (Heat Treatment) –  इस विधि में बीजों की सुषुप्तावस्था (Dormancy) को तोड़ने के लिए बीजों को 40℃ से 50℃ सेंटीग्रेड ताप पर उपचार किया जाता है ।

iii. रेड लाइट ट्रीटमेंट (Red Light Treatment) –  इसमें बीजों को पहले 24 घंटों के लिए पानी में भिगोया जाता है।  फिर 1 से 2 घंटे के लिए 15℃ से 25℃ तापमान पर लाल किरणों से उपचारित किया जाता है ।

iv. अल्प ताप उपचार (Low Temperature Treatment) –  इस उपचार के लिए पहले बीजों को 36 घंटे के लिए पानी में भीगा दिया जाता है । फिर भीगे हुए बीजों को 2℃ से 8℃ सेल्सियस के तापमान पर 12 से 24 घंटे के लिए उपचारित किया जाता है ।

v. बीजों का छिलका उतारकर (Dehusking of Seeds) भी बीजों की सुसुप्तावस्था को तोड़ा जाता है । 

 

B. रासायनिक विधियाँ :-

बीजों की सुसुप्तावस्था (dormancy of seeds) को तोड़ने के लिए विभिन्न कार्बनिक और अकार्बनिक रसायनो का प्रयोग किया जाता है जो इस प्रकार है –

i. हार्मोन का प्रयोग (use of hormones) –

जिब्रेलिक एसिड (gibberellic acid) – 1-100 ppm 

इथाईलीन (ethylene) – 100-300 ppm

ii. तनु अम्ल घोल का उपयोग कर बीजों का उपचार करना –

जैसे – HCL, H2SO4, HNO3 (0.1 से 0.5 % तक )

 

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