Friends आप तो फसल प्रणाली और फसल पैटर्न के बारे में जरूर जानते ही होंगे या पढ़े होंगे या कही सुने होंगे । जी हाँ आज हम जानेंगे इन्ही सस्य विज्ञान के महत्वपूर्ण घटक – फसल प्रणाली, फसल पैटर्न एवं सस्य योजना (Cropping Pattern and Cropping System in Hindi) के बारे में ।
सस्य क्रम और सस्य प्रणाली क्या है? (What is Cropping Pattern and Cropping system in Hindi)
सस्य क्रम (Cropping Pattern) :-
मान लो एक क्षेत्र है उसमें आप फसल उगा रहे हो । उस निश्चित क्षेत्र में आप अपने फसल को किस व्यवस्था में उगाते हो और साल , आने वाले साल में फसलो का क्रम कैसे मेंटेन (Maintain) करते हो । इसे ही फसल पैटर्न कहते है । अगर टेक्निकली देखें तो नीचे परिभाषा में –
Definition of Cropping Pattern (परिभाषा) :-
● किसी निश्चित क्षेत्र में एक सीजन में फसलो को किस प्रकार व्यवस्थित करते हैं और पूरे साल फसलो को किस क्रम में रखते हैं , इसे ही फसल पैटर्न कहते हैं।
● किसी निश्चित क्षेत्र में फसलों को किस तरह से arrange करना और उसका Sequence कैसे maintain करना Cropping Pattern कहलाता है ।
● The Yearly sequence and spatial arrangement of crop and fallow in an area.
फसल प्रणाली (Cropping system) :-
फसल पैटर्न सिर्फ निश्चित क्षेत्र के लिए फसलों का क्रम और उसकी व्यवस्था है लेकिन इसमे हम प्रबंधन की बात करें तो इसे हम फसल प्रणाली कहेंगे।
मतलब –
Cropping system = Cropping Pattern + Management .
Definition of Cropping system (परिभाषा) :-
● फसल प्रणाली कृषि की एक महत्वपूर्ण घटक है जिसमे सस्य क्रम (Cropping Pattern) का सम्बंध प्रक्षेत्र के संसाधनों, प्रक्षेत्र के अन्य उद्यम (Enterprises) तकनीक और वातावरण के साथ होता है ।
● किसी निश्चित वातावरण में उपलब्ध संसाधनों से आय प्राप्त करने हेतू अपनाया गया सस्य क्रम तथा इसका प्रबंधन फसल प्रणाली (Cropping system) कहलाता है ।
● Cropping Pattern used on a farm and their interaction with farm resources, other farm enterprises and available technology which determine their makeup.
Main Cropping system in India – Rice + Wheat
सस्य क्रम और सस्य प्रणाली में अन्तर (Difference Between Cropping Pattern and Cropping system in Hindi)
◆ सस्य क्रम (Cropping Pattern) किसी निश्चित क्षेत्र को दर्शाता है जबकि फसल प्रणाली (Cropping system) कृषि के सभी क्षेत्रों से सम्बंध को दर्शाता है ।
◆ सस्य क्रम किसी क्षेत्र के वार्षिक क्रम और व्यवस्था को निर्देशित करता है जबकि फसल प्रणाली इसके साथ – साथ संसाधन, तकनीक, पर्यावरण आदि के मध्य सम्बन्ध को दर्शाता है।
◆ – सस्य क्रम (Cropping Pattern) :- किसी निश्चित क्षेत्र में अधिकतर किसानों द्वारा अपनाया गया फसल चक्र व्यवस्था है ।
– सस्य प्रणाली (Cropping system) :- फसलोत्पादन के सभी अवयवों तथा इनका आपसी संबंध और वातावरण के साथ समावेश होना ही फसल प्रणाली कहलाता है ।
सस्य योजना (CroppingScheme)
किसी प्रक्षेत्र (Farm) पर फसल बोने से पहले उन फसलों के अनुसार क्षेत्रफल, अनुमानित उत्पादन एवं मृदा उर्वरता की जानकारी फसल योजना कहलाती है ।
“यह एक योजना (Plan) है जिसके अनुसार मिट्टी की उर्वरा शक्ति और परिस्थितिकी संतुलन (Ecological balance) को खराब किए बिना प्रत्येक फसल से अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने हेतु निश्चित समय और क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से फसल उत्पादन किया जाता है ।”
Types of Cropping System l सस्य प्रणाली के प्रकार :-
इसके अंतर्गत हम बहुत से ऐसे सस्य प्रणाली के बारे में जानेंगे जिसे अलग – अलग क्षेत्रों में अलग – अलग तरीके से और अलग अलग वातावरणीय स्थिति में करतें हैं ।
■ मोनो कल्चर / Sole Cropping :-
जब किसी स्थान पर लगातार एक ही फसल उगाई जाती है तो इसे मोनो कल्चर या Sole Cropping कहते हैं । और इसे Solid planting के नाम से भी जाना जाता है।
उदा. – धान – धान – धान
■ Mono Cropping (एकल फसल) :-
जब किसी एक निश्चित क्षेत्र में या खेत मे एक वर्ष में केवल एक ही फसल उगाया जाता है तो उसे एकल फसल प्रणाली (Mono Cropping) कहते हैं।
उदाहरण :- मान लो किसी खेत मे एक साल में खरीफ सीजन में सिर्फ धान की फसल उगाना और रबी और जायद खाली छोड़ना । फिर अगले साल खरीफ में धान की ही फसल उगाकर रबी और जायद में कोई भी फसल न लेना एकल फसल प्रणाली का उदाहरण है ।
■ बहु फसले (Multiple Cropping) :-
किसी क्षेत्र में या किसी खेत मे एक से ज्यादा मतलब दो या दो से अधिक फसलें उगाना बहु फसले कहलाता है , चाहे दो फसल या उससे ज्यादा तीन, चार, पांच कितनी फसलें ले सकते हैं ।
बहु फसल (Multiple Cropping) के भी प्रकार है जो नीचे दिए गए हैं –
(1) अंतरा फसलें (Inter Cropping) :-
जब किसी खेत मे दो या उससे अधिक फसलों को निश्चित पंक्तियों या एकसमान क्रम में उगाया जाता है तो ऐसी पध्दति को अंतरा फसलें (Inter Cropping) कहते हैं।
जैसे – चना + सरसों (4:1 या 6:1)
गेंहू + सरसों (9:1)
(2) मिश्रित फसल (Mixed Cropping):-
जब दो या दो से अधिक फसलों के बीजों को एक साथ मिलाकर उगाया जाता है तो इसे मिश्रित फसल कहते है ।
जिस प्रकार आपने पढ़ा कि अंतरा फसल (Inter cropping) में फसलों को एक निश्चित कतार में उगाया जाता है लेकिन मिश्रित फसल (Mixed Cropping) में बिना कोई क्रम और बिना किसी कतार के फसलों के बीजों को एक साथ मिश्रित करके उगाया जाता है।
Advantages of Mixed Cropping l मिश्रित फसल से लाभ :-
१. इसमें फसल बर्बाद होने का जोखिम कम रहता है मतलब अगर किसी कारणवश एक फसल बर्बाद भी हो जाती है तो दूसरी फसलों से इसकी भरपाई हो जाती है ।
२. अलग-अलग फसलों को मिश्रित कर उगाने से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है ।
३. धान्य, दलहनी, तिलहनी, सब्जियों व चारा वाली फसलों की आवश्यकता की पूर्ति एक साथ हो जाती है । क्योंकि अलग-अलग फसलें एक साथ उगायी जाती है ।
४. इससे फसलों में कीट और रोग लगने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
Disadvantages of Mixed Cropping l मिश्रित फसल से हानि :-
१. मिश्रित फसलों के कटाई में वह शुद्धता नहीं मिलता जो एक फसल उगाने से मिलता है ।
२. इसमें सबसे बड़ी कठिनाई फसलों के प्रबंधन में होती है ।
३. कीटनाशक रोग नाशक व खरपतवार नाशक दवाइयों के छिड़काव में कठिनाई होती है ।
४. फसल की कटाई एवं मिंजाई (Harvesting and Threshing) के बाद अनाजों को अलग करना भी कठिन होता है ।
■ रिले क्रॉपिंग (Relay Cropping) :-
इसे आप रिले रेस की तरह समझिए जैसे रेस खत्म हुए बिना दूसरे को रिले डंडा पकड़ा दिया जाता है । उसी प्रकार इसमें एक फसल की कटाई हुए बिना उसी खेत में दूसरे फसल को उगा दिया जाता है। चलिये इसे परिभाषा के माध्यम से समझते हैं –
What is Relay Cropping :-
“पहली फसल को काटने से पूर्व उसी खेत मे दूसरी फसल बोना Relay Cropping या अविराम फसले या आवतरण फसले कहलाती है ।”
उदाहरण – धान के खेत मे धान की फसल की कटाई से पहले मसूर, अलसी, तिउरा आदि बोना ।
– इसे कही – कहीं पर जैसे मध्यप्रदेश में उतेरा भी कहतें हैं ।
– इसे पश्चिम बंगाल और बिहार में पैरा फार्मिंग (Paira Farming) कहते हैं ।
■ गली फसलें (Alley Cropping) :-
यह पद्दति अक्सर बागानों में अपनाया जाता है । इसमें भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए या बनाये रखने के लिए बड़े पेड़ो के पंक्तियों के बीच मे सब्जियों या फसलो को लगया जाता है ।
जैसे :- बागों में आम , बबूल आदि बड़े पेड़ो के पंक्तियों के बीच मे फसलें या सब्जियां उगाना जैसे – हल्दी, उड़द , अदरक आदि ।
■ Sequential Cropping (क्रमवार फसल) :-
यह इस पर निर्भर करता है कि आप एक साल में खरीफ में रबी में और जायद में क्रमवार से कौन-कौन से फसल लेते हैं । मतलब एक फसल के कटाई के बाद लगातार दूसरी फसल उगाना ।
इसके तीन प्रकार होते हैं –
1.Double Cropping-
खरीफ रबी जायद
धान चना x
2. Triple Cropping –
खरीफ रबी जायद
धान चना मूंग
3. Quadruple Cropping – इसके अंतर्गत अच्छा प्रबन्धन करके , कम अवधि वाली फसले लगा सकते हैं ।
जैसे – ग्वारफली — मूली — तारामीरा — मूंग
■ Augmenting crops (वर्धीकारक फसल) :-
जब मुख्य फसल की उपज को बढ़ाने के लिए अलग – अलग फसल को उसके साथ उगाया जाता है तो उसे Augmenting crops कहते हैं । ये फसलें मुख्य फसलों से पहले या त्वरित बढ़ने वाली होती है।
जैसे – बरसीम व रिजका के साथ सरसों उगाना जिससे पहली कटाई में अधिक उपज प्राप्त हो सके जिससे चारे की उपज में वृद्धि होती है ।
■ बहुमंजिला खेती (Multistoried Cropping) :-
जब अलग – अलग ऊँचाई वाले पौधों को एक साथ एक समय में उगाया जाता है तो इसे बहुमंजिला खेती कहते हैं । इसे अन्य नामो से भी जाना जाता है जैसे – Multitype Cropping , Multi level Cropping .
उदाहरण :- दक्षिण भारत में – नारियल, काली मिर्च, अनानास और अदरक की खेती एक ही प्लॉट में ।
■ पेड़ी (Ratooning) :-
जब पहली वाली फसल को काटने के बाद उसी फसल के तने से नए फसल तैयार किया जाता है तो इसे पेडी या रेटूनिंग कहते हैं । यह क्रिया अधिकतर गन्नो में और घासों में किया जाता है ।
अपील
धन्यवाद ! अगर आपको इस टॉपिक से सम्बंधित कोई भी शिकायत हो तो कृपया कमेन्ट में जरूर लिखें ।
और अगर आप कृषि (Agriculture) एवं इससे सम्बंधित विषय से जुड़े छोटे- छोटे फैक्ट्स (Facts) रोज जानना चाहते हैं तो हमारे इंस्टाग्राम, टेलीग्राम और फेसबुक page को जरूर फॉलो करें
– AGRIFIELDEA
Hame bahut khusi hui is topic ko padkr
Aap hamri ase hi help krte rhiye
Thank you🙏🙏🙏