तो इसके पहले पार्ट में आप लोगो ने धान के दो मुख्य रोगों – ब्लास्ट रोग और भूरा धब्बा रोग (Brown Spot) के बारे में पढ़ा । और आज आपका स्वागत है पार्ट -2 में जिसमे हम बात करेंगे धान के दो और मुख्य रोगों के बारे में, उसके लक्षण और उस रोग के प्रबंधन के बारे में (Rice Important Diseases, Symptoms and Management)
धान के मुख्य रोग, उसके लक्षण और उसका प्रबंधन (Rice Important Diseases, Symptoms and Management in hindi)
3. Sheath Rot (शीथ रॉट या पर्णच्छद सड़न रोग)
धान के शीथ रॉट रोग के लक्षण : Symptoms of Sheath Rot Of Rice
पर्णच्छद (leaf sheath) के प्रमुख भागों में बड़े और बीच में धूसर रंग तथा उसके किनारे-किनारे भुरे रंग का मार्जिन विकसित होता है ।
युवा पर्णगुच्छ (Young penicle) शीथ के भीतर होते हैं या आंशिक रूप से ऊभरतें हैं । पेनिकल सड़न और प्रचुर मात्रा में सफेद पाऊडर के समान फफूंद की वृद्धि पत्ति शीथ (Leaf sheath) के अन्दर देखा जा सकता है।
Favorable Conditions for Sheath Rot (अनुकूल स्थिति) :-
अब आइये जानते हैं कि इस रोग की वृद्धि के लिए कौन- कौन से कारक जिम्मेदार है ।
● धान की फसल को बहुत ही नजदीक-नजदीक रोपाई करना या कहे तो पौधों से पौधों या कतार से कतार की दूरी बहुत कम रखने से ।
● नाइट्रोजन तत्व के अधिकतम खुराक या मात्रा से इस रोग को बढ़ावा मिलता है ।
● जब उच्च आर्द्रता (High Humidity) और तापमान (temperature) 20℃ – 30℃ के आसपास होता है ।
● पौधों को जब पत्ती फोल्डर कीट (Leaf Folder Insects) , Brown Plant Hopper और पतंगे (mites) क्षति पहुँचाते है तो इस रोग के संक्रमण में वृद्धि होती है ।
Control measures for Sheath Rot Of Rice (शीथ रॉट का नियंत्रण) :-
(1) collateral host (धान के अतिरिक्त पौधे जो इस रोग को आसरा देते हैं ) तथा संक्रमित पौधे को अलग कर नष्ट कर देना चाहिए ।
(2) कार्बेंडाज़ीम (Carbendazim) 500 ग्रा. या एडिफेंफोस (Edifenphos) 1ली. या मेंकॉज़ेब (Mencozeb) 2किग्रा. प्रति हेक्टेयर Boot Leaf stage {Boot leaf stage वह समय होता है जब बीजपत्र (seedhead) flag leaf के शीथ के भीतर संलग्न होता है , यह प्रजनन चरण का एक हिस्सा है } और 15 दिनों बाद छिड़काव किया जाना चाहिए । अर्थात Boot leaf stage और 15 दिन बाद छिड़काव करना चाहिए।
(3) जिप्सम का मृदा अनुप्रयोग (500 किग्रा. / हेक्ट.) दो बार अथवा दो विभाजन कर किया जाना चाहिए ।
(4) Neem Seed Kernal Extract (NSKE) 5% या नीम तेल 3% या Ipomoea या Prosopis Leaf Powder Extract 25 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से पहला छिड़काव Boot Leaf stage में तथा दूसरा छिड़काव 15 दिन बाद करना चाहिए ।
(5) हमारा सुझाव है कि आप विशेषज्ञ की सलाह भी ले सकते हैं ।
4. Sheath Blight of Rice (शीथ ब्लाइट) {पर्णच्छद अंगमारी रोग}
शीथ ब्लाइट रोग के लक्षण : Symptoms of Sheath Blight of Rice –
शीथ (पर्णच्छद) पर अंडाकार या अनियमित हरे धूसर धब्बे बन जाते हैं । जैसे – जैसे धब्बे बड़े होते जाते हैं केंद्र अनियमित रूप से सफेद होता जाता है तथा इसके किनारे-किनारे काले भुरे या बैगनी भुरे रंग की सीमा या घेरा बनती है ।
रोग बढ़कर तने के चारों ओर फैल जाता है । गंभीर मामलों में पौधे की सभी पत्ते अभिशस्त (blighted) हो सकते हैं।
संक्रमण पूरे शीथ पर फैल जाता है जिससे पौधे की मृत्यु हो जाती है । पुराने पौधे इस रोग के अधिक संवेदनशील होते हैं । इस रोग का संक्रमण शुरुआती शीर्ष अवस्था और अनाज भरने के समय अधिक संकमण होता है।
Favorable Conditions for sheath Blight of Rice (अनुकूल स्थिति) :-
इस रोग के रोगजनक (कवक) के विकास के लिए नीचे दिए गए अवस्थाये अनुकूल होती है ।
● फसल पौध को अधिक नजदीक-नजदीक रोपण करना ।
● उच्च सापेक्ष आर्द्रता (High Relative Humidity) – 96-97% व उच्च तापमान (High Temperature) – 30℃ – 32℃ हो तो ।
● नाइट्रोजन उर्वरकों की भारी मात्रा या खुराक ।
MANAGEMENT Sheath Blight of Rice (शीथ ब्लाइट रोग का प्रबंधन) :-
(1) इस रोग के प्रति धान की रोग रोधिता वाली किस्मो को उगाना चाहिए जैसे – पंकज (Pankaj) , मानसरोवर (Mansarovar), स्वराऊ धान (Swarau dhan) इत्यादि ।
(2) गर्मियों में गहरी जुताई करना चाहिए ।
(3) खेत में या खेत की नालियों बचे फसल अवशेषों व खूटियों को जलाना चाहिए।
(4) कार्बनिक पदार्थों अथवा खादों का उपयोग किया जाना चाहिए , जैसे नीम की खली को – 150 किग्रा. प्रति हेक्टेयर या FYM (गोबर की खाद) – 12.5 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में भली प्रकार से मिला देना चाहिए ।
(5) ध्यान रहे कि रोग से संक्रमित खेत का पानी दूसरे स्वस्थ खेतो में न जाए।
(6) मृदा अनुप्रयोग (Soil application) Pseudomonas fluorescence 2.5 किग्रा. प्रति हेक्टयर रोपण के 30 दिनों बाद 50 किग्रा. अच्छी सड़ी गोबर की खाद (FYM) में अच्छी तरह मिलाकर उपयोग कर सकते हैं ।
(7) कार्बेंडाज़ीम (Carbendazim) का 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव ।
(8) Pseudomonas fluorescence का 0.2 % पत्तियों पर छिड़काव (Foliar Spray) Boot leaf stage तथा 10 दिन बाद करना चाहिए ।
(9) Propiconazol – 0.1 %
Or Hexaconazole – 0.1 %
Or Validamycin – 0.2 %