बोनसाई क्या है (What is Bonsai in hindi)
बोनसाई (Bonsai in hindi) उस कला का नाम है जिसमें बड़े पेड़ को एक उथले गमले में उगाया जाता है। बोनसाई उस कला का नाम है जिसमे पेड़ो को प्राकृतिक रूप में एक निश्चित आकार दिया जाता है । बोनसाई उस तकनीक का नाम है जिसमे बड़े वृक्ष को बौना व आकर्षक रूप देकर कर्षक रूप देकर घर के अंदर उगाया जा सकता है ।
बोनसाई का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Bonsai in hindi)
बोनसाई (Bonsai) का अर्थ है छोटे कद का वृक्ष अथवा बौना पौधा । बोनसाई एक जापानी कला व तकनीक है जिसमें काष्ठीय पौधों को बौना व आकर्षक आकार दिया जाता है । बोनसाई वृक्ष अपने मूल वृक्ष से केवल आकार में ही छोटा होता है गुणों में नहीं अर्थात उसके स्वभाव में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं आता ।
बोनसाई दो जापानी शब्दों ‘बोन‘ और ‘साई’ से मिलकर बना है –
बोन = उथला पात्र या उथला गमला ।
साई = पेड़ ।
इस प्रकार बोनसाई का अर्थ हुआ – एक पेड़ जो उथले पात्र में लगाया जाता है।
‘Bonsai means a tree which is planted in a shallow container.’
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि –
“बोनसाई वह कला एवं तकनीक है जिसमे बड़े काष्ठीय वृक्ष का छोटा रूप उथले गमले या पात्र में आकर्षण के लिए लगाया जाता है । जिसका आकार लघु या बौना करने की कोशिश किया जाता है लेकिन उसके प्रकृति में कोई परिवर्तन नहीं आता ।”
बोनसाई के बारे में रोचक तथ्य – भारत का सबसे बड़ा एवं विश्व प्रसिद्ध बोनसाई गार्डन कर्नाटक – उंटी रोड मैसूर में है । जिसे आध्यात्मिक गुरु स्वामी श्री गणपति सच्चिदानंद जी ने अपने आश्रम में बनाया है । जो किष्किंधा मोलिका बोनसाई गार्डन के नाम से प्रसिद्ध है ।
बोनसाई का इतिहास (History of Bonsai
बोनसाई (Bonsai) कला आधुनिक कला नही बल्कि यह हजारों वर्ष पुरानी कला है । पुराने समय मे ऋषि मुनियों, आयुर्वेदाचार्यों अथवा वैद्यों ने अपनी अनजान प्रक्रियाओं से इस कला को विकसित किया जिसे हम आज बोनसाई कला कहते हैं ।
उन्हें जंगलो में मिलने वाले महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधियों को लाने में परेशानियां होती थी । इसलिए वे इन औषधियों के बीज व छोटे पौधों को लाकर अपने आश्रम में बगीचे में व मिट्टी की बनी पात्रों में लगा लेते थे और उनकी देखभाल करते थे । और औषधि की आवश्यकता पड़ने पर वे इन पौधों की पत्तियां, टहनी व जड़ो को तोड़कर या काटकर उपयोग करते थे। जिससे इन पौधों से नई शाखाएँ निकलने लगें व फैलने लगें ।
बोनसाई कला में हम आज भी तो यही कटाई-छँटाई की क्रिया तो करते हैं ।
बोनसाई की विधि | बोनसाई कला | Bonsai Technique
बोनसाई पौधे बनाने अथवा तैयार करने की विधि को हम अलग-अलग बिंदुओं में – पौधों के चयन प्रक्रिया से लेकर उसके प्रबंधन तक पढ़ेंगे जो निम्नवत है –
बोनसाई बनाने के लिए पौधों का चुनाव –
बोनसाई सभी पौधों में सफल नहीं होता । इसके लिए कुछ पौधों का चुनाव करना पड़ता है जिसे बोनसाई बनाया जा सकता है । ऐसे पौधे जो कटाई – छंटाई सहन कर सके उन पौधों पर बोनसाई अधिक सफल होती है । आप उस पौधे के मूल वृक्ष अथवा बड़े वृक्ष को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि पौधे आसानी से उग सके, देखने में सुंदर व आकर्षक हो, तना मजबूत हो आदि।
बोनसाई के लिए उपयुक्त पौधे –
इन पौधों पौधों से सफलतापूर्वक बोनसाई पौधा तैयार किया जा सकता है – बरगद, पीपल, गुलमोहर, गुड़हल, आम, बेर, बोगनवेलिया, जामुन, अनार, शहतूत, अमरूद, करौंदा, चीकू, इमली इत्यादि ।
बोनसाई वृक्ष तैयार करने के लिए जिन पौधों का चुनाव किया जाता है उसे पहले बगीचे या गमले में उगाया जाता है । सामान्यतः बोनसाई बनाने के लिए पौधे बीज द्वारा उगा हो तो ज्यादा उपयुक्त माना जाता है।
बोनसाई के मिट्टी का मिश्रण तैयार करना –
बोनसाई के लिए मिट्टी का मिश्रण बनाने के लिए ऊपरी भूमि की मिट्टी लेना चाहिए जो 6 से 9 इंच के नीचे की न हो। इसके अलावा –
वर्मी कंपोस्ट, कोकोपीट, नदी की रेत (बालू), ईट का बुरादा नीम और सरसों की खली,
मिट्टी, वर्मी कंपोस्ट, कोकोपीट, रेट, इट का बुरादा इन सब को लगभग बराबर अनुपात में मिला पर अच्छी तरह मिश्रित कर लेते हैं । इसका कोई निश्चित अनुपात तो नहीं है फिर भी आप अपने अनुभव से या अपने क्षेत्र के कृषि वैज्ञानिक से सलाह ले सकते हैं ।
पौधे को लगाना –
जिस पौधे का चुनाव बोनसाई बनाने के लिए किया गया है उसे सावधानीपूर्वक गमले से उखाड़ कर अलग कर लेना चाहिए ।
जड़ों की अतिरिक्त मिट्टी को अलग कर देना चाहिए अगर जड़ बहुत ही ज्यादा है तो अधिक जड़ों की कटिंग कर देनी चाहिए तथा मोटी जड़ों को भी ध्यानपूर्वक काट देना चाहिए ।
अब बोनसाई को अपने अनुसार व आकर्षण को ध्यान में रखते हुए गमले में सीधा या तिरछा, बीच में या थोड़े किनारे पर लगा दे ।
बोनसाई पौधा गमले में लगाने के बाद ऊपरी सतह की मिट्टी को हाथ से धीरे-धीरे दबा देना चाहिए तथा पानी डाल दे।
बोनसाई की कटाई-छंटाई व प्रुनिंग करना –
बोनसाई पौधों में कटाई व छँटाई की निरंतर आवश्यकता रहती है ताकि पौधे की अनावश्यक वृद्धि को नियंत्रित कर सके व उस वृद्धि को अपनी इच्छा अनुसार सही दिशा दे सके । आप अपनी कल्पना के अनुसार अपने बोनसाई पौधे को सुंदर व मनमोहक रूप दे सकते हैं ।
कटाई छटाई के साथ-साथ आप अपने बोनसाई में वायरिंग करके (यानी वायर फंसा कर) भी उसकी वृद्धि को अपनी इच्छा अनुसार दिशा दे सकते हैं और आकर्षक बना सकते हैं । लेकिन ध्यान रहे वायरिंग को सही समय पर सावधानीपूर्वक निकालना जरूरी होता है ।
बोनसाई की पद्धति या शैली (Bonsai Style)
(1) Formal up right style
(2) Informal up right style
(3) Broom style
(4) Rock style
(5) Windswep style
(6) Weeping style
(7) Slant style
(8) Cascade style
(9) Semi cascade style
(10) Twin trunk style
(11) Raft style
(12) Multi clump style
(13) Forest aur group style
(14) Landscape style
(15) Driftwood style
(16) Pingin style
(17) Bungin style
(18) Exposed root style
(19) Cycase style
(20) Suiseki style.
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बहुत ही अच्छा है जी