धान की उन्नत खेती | Advanced Cultivation of Paddy in Hindi

       Hello दोस्तों स्वागत करता हूँ आप सभी का । इस लेख में हम जानेंगे कि धान की उन्नत खेती कैसे करते हैं (Advanced Cultivation of Paddy in hindi) दोस्तों आप लोगों से निवेदन है कि अगर आपको हमारा पोस्ट अच्छा लगता है तो कृपया इस पोस्ट को शेयर करके और  जरूरतमन्दो तक पहुंचाए  l

Advanced Cultivation of Paddy

धान की कृषि कार्यमाला (Advanced Cultivation of Paddy in Hindi)

धान की उन्नत खेती कैसे करें जानिये | Advanced Cultivation of Paddy in hindi

 

Botanical Information About Rice :

  • वानस्पतिक नाम :- ओराइजा सेटाइवा (Oryza sativa)
  • कुल (Family) :- ग्रेमिनी/पोएसी (gramineae/Poaceae)
  • गुण सूत्र :- 2n=24
  • उत्पत्ति स्थल (Origin) :- इण्डो बर्मा (दक्षिण पूर्वी एशिया)

धान, Introduction :- 

                        क्या आपको पता है धान विश्व की 60 प्रतिशत जनसंख्या का मुख्य भोजन है । धान्य फसलों में धान मुख्य फसल है । धान का विश्व में सर्वाधिक क्षेत्रफल भारत में है तथा भारत में खाद्यान्नों के उत्पादन में चावल ही प्रथम है। धान के उत्पादन में प्रथम स्थान चीन का तथा दूसरा स्थान भारत का है । धान में प्रोटीन की मात्रा अन्य खाद्यान्नों की तुलना में सबसे कम होता है । ( सफेद धान में  6-7% व भूरा धान में – 7.8% पाई जाती है )
                       क्या आप जानते हैं(ए कंपिटेटीव बुक ऑफ एग्रीकल्चर डॉ. एन. आर. सुन्डा 👇👇)
  • एक किलो धान उत्पादन करने में 5000 ली. पानी की    आवश्यकता होती है।
  • धान के दाने को कैरीओप्सीस कहते हैं ।
  • धान के प्रोटीन को ओराइजेनिन (Oryzenin) कहते हैं ।
  • धान के खेतों से मिथेन गैस निकलती है ।
  • धान की प्रथम बौनी जीन -डी. जी. वू. जेन (Dee-Gee     Woo Gen) है ।

धान की उन्नत बुआई (Advanced Cultivation of Paddy) –

जलवायु, Climate Requirements for Paddy Cultivation :- 

धान उष्ण एवं नम जलवायु का पौधा है ।

औसतन तापमान – 21℃ से 31℃ की  आवश्यकता होती है ।

भूमि का चुनाव व तैयारी-Soil Requirements for Rice Cultivation  :- 

               धान की फसल के लिए लगभग सभी उपयुक्त भूमि अच्छी मानी जाती है।  लेकिन धान के लिए उत्तम मिट्टी   मटियार दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है, क्योंकि इसमें पानी रोकने की क्षमता अधिक होती है। तथा जिसमें जीवांश पदार्थ की मात्रा अच्छी , उपजाऊ व अधिक जलधारण क्षमता वाली हो ।
               धान की खेत की तैयारी के पूर्व खेत को अच्छी तरह 1-2 बार ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करनी चाहिए । तथा खेत खरपतवार रहित होना चाहिए । खेत की तैयारी आप धान बुआई की विभिन्न विधियों के आधार पर कर सकते हैं ।
             धान की खेती अम्लीय भूमि में भी की जा सकती है जिसका PH मान 4-6.5 के बीच उपयुक्त है ।

Important Varieties of Rice : धान की प्रमुख उन्नत किस्मे एवं उनकी विशेषताएँ :-

पन्त धान 10 :- यह किस्म 110 से 115 दिन में पक जाती है । 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इसकी उपज है ।

पन्त धान 12 :- 55 – 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज , 115 से 120 दिन में तैयार हो जाती है ।

IR-64 :- यह शीघ्र पकने वाली किस्म है (110-115 दिन) । यह किस्म गंगई, बलास्ट , तथा बकेट रोग के लिए निरोधक है।  प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 40 – 45 क्विंटल होता है।

माही सुगंधा :- ये किस्म राजस्थान से निकाली गयी है ।

IR-8 :- इसे विश्व का जादुई धान कहते हैं।  जो 1965 में भारत में आयात हुआ । यह लवणता रोधी किस्म है ।

महामाया :- यह मध्यम पकने वाली धान है (125-135 दिन), 40-45 क्वि./हेक्टयर उत्पादन व ब्लास्ट, शीथरॉट, गंगई, तनाछेदक एवं पत्तीमोड़क कीट के प्रति सहनशील ।

बाला, साकेत व कंचन :- सूखा सहनशील किस्मे ।

साबरमती :- यह बलास्ट रोग के प्रतिरोधी किस्म है ।

हेमा व राजेश्वरी :- यह रबी व खरीफ दोनों मौसम में उगाई जाने वाली किस्मे हैं ।

पूसा बासमती-1 :- IARI (इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट) नई दिल्ली द्वारा विकसित विश्व की प्रथम उच्च उपज वाली व गुणवत्ता युक्त बौनी किस्म है ।

IR-36 :- शीघ्र पकने वाली (115-120 दिन) , यह गंगई, बलास्ट व ब्लाईट निरोधक किस्म है ।

इसके अलावा धान की बहुत सी उन्नत किस्मे है – कावेरी, खुशबू , सीता , पदमा , पंकज , चम्बल , रत्ना , जया , पूसा- 2-21 , TN-1 , माही सुगन्धा , पूर्णिमा , दंतेश्वरी , समलेश्वरी ,शताब्दी , MTU 1010 , कर्मा मासूरी इत्यादि ।

Seed Rate of Rice -Seedling Requirements बीज दर प्रति हेक्टेयर :-

छिड़काव विधि से (Broadcasting) :- 100 किग्रा. प्रति हेक्टेयर,

ड्रिलिंग विधि में :- 60 -80 किग्रा. प्रति हेक्टेयर

हाइब्रिड धान की बीज दर :- 15 से 20 किग्रा./ हेक्ट.

धान की रोपा पद्दति :- 15 किग्रा./ हेक्ट.

लेहि पद्दति :- 80 – 90 किग्रा. / हेक्ट.

SRI पद्द्ति :- 5 से 6 किग्रा./ हेक्ट. बीज

डेपोग विधि :– 1.5 – 3 किग्रा./वर्ग मीटर (25-30 वर्ग मीटर/हेक्टेयर)

 

(अगर आप धान की SRI पद्द्ति  और डेपोग विधि के बारे मे जानना चाहते हैं तो नीचे क्लिक करें )

Read also- SRI System of Rice Intensification

उर्वरक – Fertilizer / Nutrients Management in Rice Cultivation :-

■ नाइट्रोजन उर्वरक (N) – 100 किग्रा. / हेक्टेयर

(धान की फसल के लिये सबसे उपयुक्त नाइट्रोजन उर्वरक अमोनियम सल्फेट मानी जाती है )

■ फास्पोरस उर्वरक (P) – 60 किग्रा./ हेक्टेयर

■ पोटाश (K) – 60 किग्रा. / हेक्टेयर

■ जिंक (Zn) – 25 किग्रा. / हेक्टेयर

■ जैविक उर्वरकों में एजोला , नील हरित शैवाल ( Blue Green Algae), व एजेटोबैक्टर आदि प्रमुख है ।

Irrigation/Water Management in Rice Cultivation – सिंचाई  :- 

                   धान की फसल में सिंचाई का विशेष महत्व है क्योंकि धान की फसल की जलमांग अन्य फसलों की अपेक्षा बहुत अधिक होती है । इसकी जलमांग लगभग 900 मिमी. से 2500 मिमी. तक होती है ।
धान के खेतों में 5 सेमी. पानी हमेशा रहना ही चाहिए लेकिन धान पकने के 2 – 3 सप्ताह पहले जल को खेत से बाहर निकाल (जल निकास) देना चाहिए ।

Pest and Disease management in Rice Field – धान की फसल में कीट एवं रोगों का नियंत्रण :-

Disease management in Rice Field – रोग नियंत्रण :-

blast disease (झुलसा रोग) – इस रोग के नियंत्रण के लिए धान की नर्सरी में कार्बेंडाज़ीम 500 ग्रा./ली. या ट्राइसाइक्लाजोल (Tricyclazole) 300 ग्रा./ली. का छिड़काव व धान की मुख्य फसल में एडिफेंफोस (Edifenphos) 500 ml. या कार्बेंडाज़ीम (Carbendazim) 500 ग्रा. का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए ।

Brown Spot (भूरा धब्बा रोग) – इसके नियंत्रण के लिए बीजोपचार थीरम या कैप्टान से  4 ग्रा./ किग्रा. बीज दर पर किया जाना चाहिए ।

खेत मे एडिफेंफोस 500 ml. या मेंकॉजेब 2 किग्रा./हेक्ट. के हिसाब से 15 दिनों के अंतराल में आवश्यकतानुसार छिड़काव करना ।

शीथ रॉट (Sheath Rot) – कार्बेंडाजीम 500 ग्रा. या एडिफेंफोस 1 ली. या मेंकॉज़ेब 2 किग्रा. का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव ।

शीथ ब्लाइट (Sheath blight) – इस रोग के नियंत्रण के लिए कार्बेंडाजीम 500 ग्रा./हेक्ट. छिड़काव ।

– प्रोपिकोनाजोल 0.1% या हेक्साकोनाज़ोल 0.1% का छिड़काव ।

Pseudomonas fluorescence का 0.2% पत्तियों पर छिड़काव (Foliar Spray)

खैरा रोग – इसके नियंत्रण के लिए 25 किग्रा. /हेक्ट. जिंक सल्फेट बुआई से पूर्व खेत मे मिलाते हैं । तथा 0.5% जिंक सल्फेट का खड़ी फसल में छिड़काव भी किया जा सकता। है ।

बैक्टीरीयल लीफ ब्लाइट – इसकी रोकथाम हेतु एग्रिमाईसिन 100 का छिड़काव करें ।

false smut (धान का लाई फूटना) – 

Rice Tungro Disease (धान का टूँग्रो रोग) – फास्फोमिडान (Phosphomidan) 500 ml. या मोनोंक्रोटोफास (Monocrotophos) 1 ली. प्रति हेक्ट. का  छिड़काव ।

– इस रोग के वाहक (ग्रीन प्लांट हॉपर) के नियंत्रण के लिए कार्बोफ्यूरॉन (Carbofuran) 170 ग्रा. बुआई के 10 दिन बाद छिड़काव करनी चाहिए ।

 

इन्हें भी पढ़िये –

Insect/Pest Management in Rice Field – कीट नियंत्रण :-

गन्धी बग (Leptocorisa acuta) – मैलाथियान 50 EC @625 ml. / हेक्टेयर की दर से प्रयोग ।

हिस्पा कीट (Diclodispa armigera) – फास्फोमिडान 0.68 kg/hac. या मैलाथियान 1.42 kg./hac.

धान का पीला तना छेदक (Tryporyza incertulus) – कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 4G 2-5 kg. सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव ।

भूरा फुदका (Nilaparvata lugence)इमिडाक्लोप्रिड नामक दवा 100 ml. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें ।

अपील

 

अगर आप कृषि से जुड़े छोटे-छोटे फैक्ट्स (Facts) रोज जानना चाहते हैं तो हमारे इंस्टाग्राम (Instagram) और फेसबुक पेज (Facebook Page) को  Like और Follow जरूर कर दे AGRIFIELDEA

Leave a Comment